DNA: चीन की जमीन में मची थी खलबली, फिर बना डाली एक और बाहुबली 'दीवार', दुनिया भी हैरान
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DNA: चीन की जमीन में मची थी खलबली, फिर बना डाली एक और बाहुबली 'दीवार', दुनिया भी हैरान

China Green Wall: चीन की जिस नई दीवार की दुनिया भर में चर्चा हो रही है. वो कोई कंक्रीट की दीवार नहीं बल्कि रेत को रोकने वाली एक पेड़ पौधों की एक हरित दीवार है, जिसे 'ग्रीन ग्रेट वॉल' कहा जा रहा है. चीन ने ये ग्रीन ग्रेट वॉल इनर मंगोलिया में बनाई है. चीन की ये नई दीवार 1 हजार 856 किलोमीटर लंबी सैंड कंट्रोल बेल्ट है. 

DNA: चीन की जमीन में मची थी खलबली, फिर बना डाली एक और बाहुबली 'दीवार', दुनिया भी हैरान

Great Green Wall Photo: आपने आज से पहले 21 हजार 196 किलोमीटर लंबी चीन की दीवार की कहानियां जरूर सुनी होंगी. ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना के नाम से मशहूर इस दीवार को यूनेस्को ने विश्व की धरोहरों की लिस्ट में शामिल किया है. चीन में इसे देखने के लिए लाखों पर्यटक भी पहुंचते हैं. लेकिन आजकल चीन की एक और दीवार चर्चा में है. जिसे ग्रीन ग्रेट वॉल कहा जा रहा है. 

ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना चीन को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए बनाई गई थी. और चीन की ये नई दीवार भी चीन को बहुत बड़े खतरे से बचाने के लिए तैयार की गई है. चलिए आपको चीन की इस बड़ी दूसरी दीवार के बारे में बताते हैं और क्यों चीन के भविष्य के लिए ये नई दीवार महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है. क्या भारत भी ऐसी कोई दीवार तैयार करने जा रहा है?

क्या है चीन की नई ग्रीन वॉल

चीन की जिस नई दीवार की दुनिया भर में चर्चा हो रही है. वो कोई कंक्रीट की दीवार नहीं बल्कि रेत को रोकने वाली एक पेड़ पौधों की एक हरित दीवार है, जिसे 'ग्रीन ग्रेट वॉल' कहा जा रहा है. चीन ने ये ग्रीन ग्रेट वॉल इनर मंगोलिया में बनाई है. चीन की ये नई दीवार 1 हजार 856 किलोमीटर लंबी सैंड कंट्रोल बेल्ट है. इसमें बड़े पैमाने पर पेड़-पौधे और झाड़ियां लगाई गई हैं ताकि रेत का फैलाव रोका जा सके. 

चीन की ग्रीन ग्रेट वॉल तीन बड़े रेगिस्तानों...टेंगगर, उलान बुह और बदन जारन को कवर करती है. आप सोच रहे होंगे कि चीन ने पेड़ पौधों की ये हरित दीवार क्यों तैयार की है? इसके पीछे चीन के एक बड़े दुश्मन का हाथ है, जिससे चीन आजकल अमेरिका से भी ज्यादा चिंतित है.

इस चीज ने बढ़ाई चीन की टेंशन

चीन की असली चिंता देश में खत्म होती हरियाली और बढ़ते हुए रेगिस्तान हैं. चीन के उत्तर और उत्तर-पश्चिम के रेगिस्तान लगातार बढ़ रहे थे. चीन का तकलामाकन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है. यहां भयंकर रेत वाली आंधियां चलती हैं, जिससे चीन में खेती तबाह हो रही है. इन आंधियों और रेगिस्तान के बढ़ते दायरे को रोकने के लिए इस ग्रीन वॉल का निर्माण किया गया है.

चीन भले ही अमेरिका या भारत से टक्कर लेने की ताकत रखता हो. लेकिन उसका सबसे बड़ा संकट उसके रेगिस्तान हैं. रेत के तूफान, हवा में घुलती धूल, घटती उपजाऊ जमीन और जल संकट उसकी आर्थिक और पर्यावरण सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. चीन ने ये दीवार बनाकर अपने कितने नुकसान को होने से बचा लिया. अगर चीन ऐसा नहीं करता तो उसका आज क्या हाल होता, अब ये बता देते हैं.

रेगिस्तान बन रही थी जमीन

चीन में 1978 से पहले हर साल लगभग 3400 वर्ग किलोमीटर जमीन रेगिस्तान बन रही थी. ये जमीन कितनी होती है इसका अंदाजा आप इस तरह लगा सकते हैं कि सिंगापुर का कुल क्षेत्रफल 728 वर्ग किलोमीटर और मॉरीशस का क्षेत्रफल 2 हजार 40 वर्ग किलोमीटर है. यानि इन देशों के क्षेत्रफल से ज्यादा जमीन चीन में हर साल रेगिस्तान बन रही थी. ग्रीन वॉल शुरू होने के बाद 1999 तक हर साल चीन में रेगिस्तान बनने वाली जमीन घटकर 2 हजार 460 वर्ग किलोमीटर रह गई. और 2010 के बाद चीन के कई इलाकों में रेगिस्तान का विस्तार रुकने लगा.

इस वक्त तक हर साल रेगिस्तान में बदल चुकी 1 हजार 980 वर्ग मीटर जमीन हरित भूमि में बदलने लगी. यानि चीन में जहां एक तरफ खेती की भूमि रेगिस्तान में बदल रही थी तो अब रेगिस्तान में खेती होने लगी. अगर चीन ये मुहिम न चलाता तो क्या होता आज आपको ये भी जानना चाहिए. 1978 से 2025 तक चीन की लगभग 1 लाख 60,000 वर्ग मीटर जमीन रेगिस्तान में बदल जाती. ये जमीन इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के कुल क्षेत्रफल के बराबर है. नया रेगिस्तान बनने से चीन को हर साल लगभग 64,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता था.

हर साल लाखों-करोड़ों का नुकसान

अगर इसमें हवा की गुणवत्ता में खतरनाक गिरावट से होने वाले नुकसान को भी मिला लिया जाए तो ये एक साल में चीन का नुकसान 1 लाख 24 हजार करोड़ रुपये हो जाता. लेकिन चीन की नई दीवार ने इस नुकसान को रोक लिया. यानि चीन की ग्रीन ग्रेट वॉल केवल पेड़ लगाने की मुहिम नहीं, बल्कि चीन के लिए एक अस्तित्व की लड़ाई है. अगर ये प्रोजेक्ट न होता तो करोड़ों लोग विस्थापित होते. 

अरबों डॉलर का नुकसान होता और चीन के कई इलाके रेत के सागर में तब्दील हो जाते. वैसे भारत भी इस मुहिम में पीछे नहीं है. गुजरात के पोरबंदर से दिल्ली के राजघाट तक 1,400 किमी लंबी ‘ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’ बनाई जा रही है. यह न सिर्फ रेगिस्तान के फैलाव को रोकेगी बल्कि पर्यावरण बचाने में बड़ी भूमिका निभाएगी.

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