US News: आमतौर पर परेड में फौज की टुकड़ियां कदमताल मिलाते हुए जोश के साथ आगे बढ़ती हैं. 26 जनवरी को आपने भी कर्तव्य पथ पर मिलिट्री परेड देखी होगी. लेकिन यहां दुनिया की सबसे शक्तिशाली मानी जाने वाली फौज अपने राष्ट्रपति के सामने परेड के नाम पर सिर्फ चल रही है.
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Trump Military Parade: मिलिट्री परेड क्यों की जाती है. कोई भी देश अपनी सेनाओं का अपने हथियारों का प्रदर्शन क्यों करता है. सीधा जवाब है. अपनी ताकत दुनिया को दिखाने के लिए. 14 तारीख को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी मिलिट्री परेड के जरिए दुनिया को अपनी ताकत का अंदाजा करवाना चाहते थे. लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया. US आर्मी की 250वीं सालगिरह पर वॉशिंगटन में मिलिट्री परेड हुई. यहां सेना की ताकत कम और आलस ज्यादा दिख रहा है.
आमतौर पर परेड में फौज की टुकड़ियां कदमताल मिलाते हुए जोश के साथ आगे बढ़ती हैं. 26 जनवरी को आपने भी कर्तव्य पथ पर मिलिट्री परेड देखी होगी. लेकिन यहां दुनिया की सबसे शक्तिशाली मानी जाने वाली फौज अपने राष्ट्रपति के सामने परेड के नाम पर सिर्फ चल रही है.
लोगों ने जमकर उड़ाया मजाक
अमेरिकी सेना की इस परेड को लेकर अब सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है. लोग तरह तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कई लिख रहा है कि जवानों से जबरन परेड करवाई जा रही है तो कोई कह रहा है कि ये एक फ्लॉप शो रहा. रूसी मीडिया ने तो इस परेड का मजाक उड़ाते हुए एक वीडियो जारी कर दिया.
जिस परेड का मजाक उड़ाया जा रहा है उसमें 7000 सैनिकों ने भाग लिया था. 150 से ज्यादा मिलिट्री व्हीकल्स का प्रदर्शन हुआ. 50 से ज्यादा मिलिट्री प्लेन्स आसमान में उड़े. इस परेड में 390 करोड़ रुपये खर्च किए गए. लेकिन इसे एक फ्लॉप शो कहा जा रहा है.
दुनियाभर में मिलिट्री परेड किसी देश के लिए गर्व की बात होती है. सेना इस दिन को भव्य बनाने के लिए पूरी जान झोंक देती है.
ट्रंप के बर्थडे पर निकली थी परेड
रूस में 9 मई को विक्ट्री डे परेड होती है. इसी तरह से चीन में स्थापना दिवस को मनाने के लिए हर 10 साल पर 1 अक्टूबर को परेड होती है. यहां तक कि नॉर्थ कोरिया, ईरान, अफगानिस्तान और बेलारूस जैसे देशों में भी भव्य परेड निकाली जाती है.
अमेरिकी सेना की परेड का मजाक क्यों उड़ाया जा रहा है, अब ये समझते हैं. भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर मिलिट्री परेड होती है. भारतीय सेना की अलग-अलग टुकड़ियां यहां मार्च करती हैं. सेना के टैंक, मिसाइलें अलग-अलग तरह के हथियारों का प्रदर्शन होता है. आसमान में मिलिट्री के प्लेन्स फ्लाई पास्ट करते हैं. कितना भव्य नजारा होता है.
वहीं अमेरिकी आर्मी की इस परेड में न जोश है, न जज्बा. वैसे कहा जा सकता है कि अमेरिकी फौज को परेड का तजुर्बा थोड़ा कम है क्योंकि यहां परेड की परंपरा ही नहीं है. अमेरिका में आखिरी बार 1991 में खाड़ी युद्ध के बाद मिलिट्री परेड हुई थी. युद्ध से लौटे 8000 सैनिकों ने वॉशिंगटन की सड़कों पर परेड किया था. तब मानो पूरा अमेरिका सड़कों पर था. डॉनल्ड ट्रंप को भी ऐसे ही किसी परेड की उम्मीद थी. लेकिन मिला एक फ्लॉप शो.
ट्रंप के खिलाफ हुआ भयंकर विरोध-प्रदर्शन
14 तारीख को जिस दिन अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ पर परेड हुई. इत्तेफाक से उसी दिन राष्ट्रपति ट्रंप का जन्मदिन भी था. एक तरफ परेड हो रही थी तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ भयंकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था.
अमेरिका के 50 शहरों में ट्रंप के विरोध में प्रदर्शन हुए, जिस वक्त ट्रंप परेड की सलामी ले रहे थे, उस वक्त उन्हीं के देश में लाखों लोग उनके खिलाफ सड़कों पर उतरे थे. सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें भी ट्रेंड कर रही हैं, जहां एक तरफ परेड को देखने के लिए कुछ हजार लोग ही आए थे और दूसरी तरफ अमेरिका के अलग अलग शहरों में लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे थे.
एक तो परेड में सेना का फ्लॉप शो और दूसरी तरफ सड़कों पर उनके खिलाफ जनता का गुस्सा. कुल मिलाकर जन्मदिन पर ट्रंप की फजीहत हो गई.