भारत का ये ऐतिहासिक शहर, जो एक दिन के लिए बना था देश की राजधानी
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भारत का ये ऐतिहासिक शहर, जो एक दिन के लिए बना था देश की राजधानी

1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था. उस दिन रानी विक्टोरिया का ऐलान पढ़ा गया, जिससे भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश सरकार को मिली. इस ऐतिहासिक मौके पर लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद में औपचारिक घोषणा की थी.

भारत का ये ऐतिहासिक शहर, जो एक दिन के लिए बना था देश की राजधानी

इतिहास के पन्नों में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो कम समय के लिए घटती हैं, लेकिन हमेशा के लिए याद रह जाती हैं. ऐसी ही एक दिलचस्प किस्सा है, जब भारत की राजधानी दिल्ली नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश का एक शहर 'इलाहाबाद' (अब प्रयागराज), एक दिन के लिए देश की राजधानी बना था. यह कहानी है आजादी से पहले की, जब अंग्रेजों का भारत पर राज था. 

  1. इलाहाबाद एक दिन के लिए भारत की राजाधानी बना था
  2. इसी दिन भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश सरकार को मिली

इलाहाबाद बना था राजधानी
यह घटना साल 1858 की है. उस समय भारत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन था. लेकिन 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों को यह महसूस हो गया था कि अब देश को कंपनी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. इसलिए 1 नवंबर 1858 को एक बहुत बड़ा ऐलान किया गया. इसी दिन ब्रिटिश क्राउन ने भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से अपने हाथों में ली. इसे 'क्वीन्स प्रोक्लेमेशन' (Queen's Proclamation) कहा गया, जिसे ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की ओर से घोषित किया गया था. इस घोषणा को औपचारिक रूप से पढ़ने और भारत की जनता तक पहुंचाने के लिए, एक खास आयोजन रखा गया था और इसके लिए जगह चुनी गई इलाहाबाद. इसी वजह से 1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद को एक दिन के लिए भारत की राजधानी जैसा दर्जा मिला.

कहां और कैसे हुआ ये कार्यक्रम?
यह ऐतिहासिक ऐलान इलाहाबाद के मैरीगोल्ड मैदान (जो अब कलेक्ट्री मैदान कहलाता है) में हुआ था. यहां खुद लॉर्ड कैनिंग आए थे, जो उस समय भारत के गवर्नर जनरल थे. उन्होंने रानी विक्टोरिया का संदेश पढ़ा और लोगों को बताया कि अब भारत सीधे ब्रिटेन की रानी के अधीन होगा. इसी के साथ लॉर्ड कैनिंग को भारत का पहला वायसरॉय भी बना दिया गया.

इलाहाबाद को ही क्यों चुना गया?
इलाहाबाद को इसलिए चुना गया क्योंकि उस समय दिल्ली और आसपास के इलाके 1857 की लड़ाई के बाद काफी असुरक्षित थे. इलाहाबाद न सिर्फ शांत था, बल्कि उसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी बहुत बड़ा था. यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है और यह शहर हमेशा से एक खास जगह माना जाता रहा है.

आज भी है उस दिन की याद
आज भी प्रयागराज के कलेक्ट्री इलाके में वो जगह मौजूद है, जहां ये ऐतिहासिक ऐलान हुआ था. हालांकि, अब उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए ये जगह आज भी बहुत मायने रखती है.

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