Anti Drone System in World: दुनियाभर में ड्रोन विकसित हो रहे हैं,चीन और पाकिस्तान जैसे देशों ने ड्रोन पाकर ये सोच लिया था कि वे अब 'बादशाह' बन गए हैं. लेकिन एंट्री ड्रोन तकनीक ने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है. अब ऐसी-ऐसी तकनीक विकसित हो रही हैं, जो चुटकियों में ड्रोन को ध्वस्त करने की ताकत रखती हैं.
दुनियाभर में आधुनिक युद्ध यानी मॉडर्न वॉर को देखते हुए तैयारियां चल रही हैं. कोई लेजर बेस्ड वेपन बना रहा है, तो कोई ड्रोन आर्मी खड़ी करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. लेकिन अब दुनिया भर की ड्रोन पावर को आंख दिखाने के लिए इसके काउंटर में भी तकनीक विकसित ही रही हैं. ये खासकर, चीन के लिए सबसे बड़ी रुकावट खड़ी हो सकती है.
अमेरिकी रणनीतिक विश्लेषक मार्क टी. किमिट ने कहा कि क्या ड्रोन अब 'अजेय' नहीं रहे? क्या 'ड्रोन की सर्वोच्चता का अंत' शुरू हो गया है? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है, क्योंकि ड्रोन के खिलाफ तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, जिनको C-UAS कहा जा रहा है. यहां C का मतलब 'काउंटर' है.
भारत-पाकिस्तान, ईरान-इजरायल संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन को नष्ट करने की घटनाओं से यह साफ है कि ड्रोन आसानी से निशाना बन सकते हैं. युद्ध का इतिहास बताता है कि हर हथियार का जवाब जल्दी मिल जाता है. जैसे- 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टेनली बाल्डविन ने कहा था कि बमवर्षक विमानों को रोकना असंभव है. लेकिन रडार, अवरोधक विमान और तोपों ने उन्हें कमजोर कर दिया.
ड्रोन के खिलाफ दो तरह की तकनीकें बन रही हैं. ड्रोन का पता लगाना और उसे नष्ट करना. रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल ड्रोन को ढूंढने में होता है. ये तकनीक शहरों या शोरगुल वाले इलाकों में भी काम करती है. ड्रोन को रोकने के लिए जैमिंग की जाती है, जिसके बाद ड्रोन को ऑपरेटर ऑपरेट नहीं कर पाता है. ड्रोन को रोकने के लिए गैर-काइनेटिक तरीके, जैसे- जैमर और स्पूफर का इस्तेमाल होता है. जबकि काइनेटिक तरीके, जैसे- गोली, मिसाइल या जाल का इस्तेमाल होता है.
भारत की निजी कंपनी सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड ने 'भार्गवास्त्र' नामक काउंटर-स्वार्म ड्रोन सिस्टम बनाया है. यह 2.5 किमी तक के ड्रोन को नष्ट कर सकता है. इसकी सफलता का परीक्षण मई 2024 में गोपालपुर में हुआ, जहां इसने चार रॉकेटों के साथ लक्ष्य को भेदा.
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