पंखा आज हर घर की जरूरत है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत भारत में कैसे हुई थी? राजा-महाराजाओं के शाही पंखों से लेकर बिजली वाले फैन तक, इसका सफर बेहद दिलचस्प रहा है.
भारत में पंखे का इतिहास बहुत पुराना है. पुराने समय में राजा-महाराजा अपने महलों में बड़े-बड़े हाथ से चलने वाले पंखे का इस्तेमाल करते थे, जिन्हें हाथ पंखा भी कहा जाता था. यह पंखे खास तौर पर कपड़े या पत्तों से बनाए जाते थे और नौकर उन्हें हाथ से हिलाते थे. यह एक तरह से शाही ठाट-बाट का हिस्सा था.
प्राचीन भारत में आम लोग भी गर्मी से राहत पाने के लिए हाथ पंखों का इस्तेमाल किया करते थे. इन्हें पखावज, बल्लम या विसरजन पंखा जैसे नामों से जाना जाता था. ये पंखे अक्सर बांस, खजूर की पत्तियों या कपड़े से बनाए जाते थे. गांवों में आज भी ऐसे पंखे देखने को मिल जाते हैं.
बिजली से चलने वाले पंखे भारत में 1900 के शुरुआती दशक में आए. माना जाता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में पहली बार इलेक्ट्रिक फैन लाया गया. शुरुआत में इनका इस्तेमाल सिर्फ बड़े सरकारी दफ्तरों, ब्रिटिश अधिकारियों के बंगलों और कुछ अमीर लोगों के घरों में ही होता था.
भारत में पंखा लाने का श्रेय Crompton & Company (अब Crompton Greaves) को जाता है. इस कंपनी ने भारत में 1930 के आसपास पहली बार पंखे बनाए और बेचना शुरू किया. शुरुआत में ये पंखे बहुत महंगे हुआ करते थे और सिर्फ अमीर लोग ही इन्हें खरीद सकते थे.
1947 में भारत की आजादी के बाद जैसे-जैसे बिजली गांवों और छोटे शहरों में पहुंचने लगी, वैसे-वैसे पंखों की मांग भी बढ़ती गई. 1960 और 1970 के दशक में कई भारतीय कंपनियों ने सस्ते पंखे बनाना शुरू किया और तब जाकर यह आम आदमी के घर तक पहुंच सका.
पहले के पंखे भारी और धीमे होते थे, लेकिन समय के साथ इनका डिजाइन बदला. अब पंखे हल्के, कम बिजली खर्च करने वाले और अलग-अलग रंगों और स्टाइल में आने लगे हैं. आज मार्केट में सीलिंग फैन, टेबल फैन, पेडस्टल फैन, और स्मार्ट फैन जैसे कई विकल्प मौजूद हैं.
आज पंखा सिर्फ गर्मी से राहत का जरिया नहीं है, बल्कि घर की सजावट का भी हिस्सा बन चुका है. कुछ लोग तो पंखे में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी या WiFi कनेक्शन तक चाहते हैं. आने वाले समय में पंखों में और भी स्मार्ट फीचर्स आने की उम्मीद है.
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