सुल्तान गढ़ी भारत का पहला इस्लामी मकबरा है, जिसे 1231 में सुल्तान इल्तुतमिश ने अपने बेटे के लिए बनवाया था. यह दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित है और देखने में किले जैसा लगता है. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस जगह पहले हिंदू मंदिर हुआ करता था, जिसके सबूत आज भी यहां की नक्काशियों में दिखाई देते हैं.
यह मकबरा देखने में किसी किले जैसा लगता है. इसे ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है और चारों तरफ दीवारें और बुर्ज हैं. अंदर एक खुला आंगन है और बीच में एक गोलाकार सी संरचना है. इसके नीचे एक तहखाना भी है, जहां सुल्तान इल्तुतमिश के बेटे की कब्र है. इसी वजह से इसे सुल्तान गढ़ी यानी गुफा कहा जाता है.
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस जगह पहले हिंदू मंदिर हुआ करता था, जिसके सबूत आज भी यहां की नक्काशियों में दिखाई देते हैं. लेकिन इसे मुख्य रूप से सुल्तान गढ़ी का मकबरा के रूप में जाना जाता है.
आज भी इस मकबरे को कुछ लोग दरगाह मानते हैं और वहां दुआ करने जाते हैं. हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग यहां मन्नत मांगने और आशीर्वाद लेने आते हैं. खासकर शादी के बाद नए जोड़े भी यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मकबरे पर पूजा करने के लिए गुरुवार का दिन विशेष माना जाता है.
आज के समय में यह मकबरा थोड़े सुनसान जगह पर है, जहां पहुंचने के लिए एक कच्चे रास्ते से होकर जाना पड़ता है. इसके आसपास बहुत सी झाड़ियां और खंडहर हैं, लेकिन यह मकबरा अब भी मजबूत है. इसे देखकर लगता है कि उस समय की कला और निर्माण कितनी खास रही होगी.
सुल्तान गढ़ी का मकबरा दिल्ली के वसंत कुंज के पास नांगल देवत नाम की जगह पर है. यह मकबरा कुतुब मीनार से करीब 6-7 किलोमीटर दूर है. आप अंधेरिया मोड़ से होते हुए वहां पहुंच सकते हैं. रास्ता थोड़ा सुनसान है लेकिन गूगल मैप की मदद से आप आराम से जा सकते हैं.
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