IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने कहा है कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब पहुंच चुका है. उन्होंने इसे एक जिगसॉ पज़ल बताया, जिसके सभी टुकड़े अब ईरान के पास हैं. ग्रोसी तेहरान में ईरानी अधिकारियों से बातचीत करेंगे. यूएस-ईरान के बीच ओमान में हुई वार्ता में यूरेनियम एनरिचमेंट और हथियार बनाने की संभावना पर चर्चा हुई. अमेरिका ने साफ किया कि ईरान को 3.67% से ज़्यादा यूरेनियम एनरिच नहीं करना चाहिए.
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Iran nuclear deal: अमेरिका की लाख कोशिशों के बावजूद, ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है. अमेरिका ने ईरान पर तमाम पाबंदियां लगाई हुई हैं. फिलहाल दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर जारी है, लेकिन जिस तरह से यूएन ने दुनिया को चेताया है. यह अमेरिका को हैरान करने वाली खबर है. बता दें, संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने चेतावनी दी है कि ईरान अब परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है. ग्रोसी ने परमाणु बम निर्माण की प्रक्रिया को एक जिगसॉ पज़ल से तुलना करते हुए कहा कि ईरान के पास अब सभी 'टुकड़े' हैं, जिन्हें वह कभी भी जोड़ सकता है.
ग्रोसी तेहरान रवाना होने वाले हैं, जहां वह ईरानी अधिकारियों से उनके गुप्त न्यूक्लियर प्रोग्राम पर चर्चा करेंगे. अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में हाल ही में बातचीत हुई है, जिसमें यूरेनियम एनरिचमेंट और मिसाइल ट्रिगर जैसे तकनीकी मुद्दों पर फोकस किया गया.
राफेल ग्रोसी ने इंटरव्यू में किया खुलासा
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी IAEA के चीफ राफेल ग्रोसी ने कहा है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने से अब सिर्फ एक कदम दूर है. फ्रांस के अखबार Le Monde को दिए इंटरव्यू में ग्रोसी ने इस प्रक्रिया को एक 'जिगसॉ पज़ल' जैसा बताया जिसमें ईरान के पास अब सभी जरूरी 'पीस' मौजूद हैं.
ग्रोसी के मुताबिक, यह तकनीकी प्रक्रिया चाहे जितनी जटिल हो, पर ईरान अब उसे पूरा करने की स्थिति में है. IAEA के चीफ तेहरान रवाना होने से पहले यह बयान देकर अमेरिका को नई चिंता में डाल दिया है. उनके इस दौरे का उद्देश्य ईरान के सीक्रेट न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अधिकारियों से बातचीत करना है.
जिगसॉ पज़ल जैसा है परमाणु बम बनाना
ग्रोसी ने कहा कि परमाणु बम बनाना कोई एक स्टेप की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि कई तकनीकी और वैज्ञानिक चरणों का मिश्रण है. उनके मुताबिक, ईरान के पास अब यह सभी स्टेप मौजूद हैं. जिनमें यूरेनियम एनरिचमेंट, मिसाइल ट्रिगर, और डिलीवरी सिस्टम शामिल है.
उन्होंने यह भी कहा कि बम बनाने में कुछ और समय लग सकता है, लेकिन अब वह फासला बहुत कम है. IAEA के अनुमान के मुताबिक, अगर ईरान 60% यूरेनियम को और अधिक एनरिच करता है, तो उसके पास 6 बम बनाने जितना फिशाइल मटीरियल मौजूद है.
यूरेनियम Enrichment पर सख्त निगरानी
अमेरिका के मध्य-पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ ने बताया कि ओमान में हुई बातचीत में मुख्य फोकस यूरेनियम एनरिचमेंट और वेपनाइजेशन पर था. विटकॉफ ने स्पष्ट किया कि सिविल इस्तेमाल के लिए ईरान को सिर्फ 3.67% तक यूरेनियम एनरिच करने की जरूरत है.
हालांकि, ईरान कई स्थानों पर 60% तक एनरिचमेंट कर चुका है जो 90% वेपन-लेवल फिशाइल मटीरियल से बेहद नजदीक है. अमेरिकी ने ईरान को इसके खिलाफ सख्त चेतावनी दी है और किसी भी नए समझौते में मिसाइल सिस्टम और ट्रिगर टेक्नोलॉजी की निगरानी भी शामिल करने की बात कही है.
कहां-कहां है ईरान में न्यूक्लियर फैसिलिटी?
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की प्रमुख परमाणु फैसिलिटीज़ में Fordow नामक भूमिगत एनरिचमेंट साइट, Natanz का बड़ा एनरिचमेंट कॉम्प्लेक्स, और Isfahan में सेंट्रीफ्यूज निर्माण इकाइयां शामिल हैं. इसके अलावा, Bushehr में एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस के फ्यूल पर चलता है.
Khondab में एक अधूरा रिसर्च रिएक्टर भी मौजूद है, जो परमाणु प्रसार के खतरे से जुड़ा माना जाता है. इन सभी स्थानों पर IAEA की निगरानी बेहद जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई सीक्रेट परमाणु बम बनाने की गतिविधि न चल रही हो.
बता दें, अमेरिका लंबे समय से ईरान को परमाणु बम बनाने से दूर रखने की कोशिश में है. वहीं, ईरान ने भी कभी परमाणु बम बनाने की बात को स्वीकार नहीं किया है. लेकिन जिस तरह से यूरेनियम की शुद्धता को लेकर रिपोर्ट सामने आ रहे हैं. यह न केवल अमेरिका, बल्कि दुनिया भर के लिए चिंता का विषय बन चुका है.
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