Bhagat Ram Talwar: भगतराम तलवार को सिल्वर के नाम से भी जाना जाता था. उनकी कई कहानियां मशहूर हैं. भगतराम ने ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जेल से भगाया था. इतना ही नहीं, भगतराम ने नाजियों तक को बेवकूफ बना दिया था. चलिए, उनकी पूरी कहानी पढ़ते हैं.
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नई दिल्ली: Bhagat Ram Talwar: आपने जब भी जासूसी कहानियां देखी या सुनी होंगी, तो उनमें एक स्टाइलिश जासूस नजर आता होगा. ऐसा जासूस जिसके पास तेज दौड़ने वाली गाड़ी हो, दुश्मनों से लड़ने के लिए फाईट मूव्स हों. लेकिन असल जिंदगी में जासूस बेहद आम दिखते हैं. फिर चाहे भारत के वर्तमान NSA अजित डोभाल हों या कई दशकों पहले दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह हिटलर को बेवकूफ बनाने वाले 'सिल्वर' (भगतराम तलवार) हों.
भगतराम तलवार उर्फ सिल्वर
'भगतराम तलवार' ये नाम सुनने में जासूसों जैसा नहीं लगता. जेम्स बॉन्ड और शेरलॉक होम्स जैसे नाम दुनिया में पॉपुलर हैं. बहरहाल, भगतराम तलवार भारत के पहले जासूस कहे जाते हैं. इन्हें दुनिया में 'सिल्वर' के नाम से जाना जाता था. भगतराम ने न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि दुनिया के 5 देशों के लिए जासूसी की थी. भगतराम तब जासूसी किया करते थे, जब न तो रॉ बनी थी और न ही अन्य कई इंटेलिजेंस एजेंसियां.
इन पर एक किताब भी
भगतराम तलवार पर एक किताब भी लिखी गई है. लेखक और पत्रकार मिहिर बोस द्वारा लिखी गई इस किताब का नाम 'Silver: The Spy Who Fooled the Nazis' है. किताब में बताया गया है कि भगतराम रहमत खान के नाम से मशहूर थे. लेकिन उनका सबसे फेमस नाम 'सिल्वर' था. किताब में भगतराम के कई जासूसी किस्से हैं. दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान भगतराम ने खूब जासूसी की थी.
सुभाष चंद्र बोस को जेल से भगाया
भगतराम तलवार भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे. ऐसा कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस को जेल से छुड़ाकर देश से भगाने में भगतराम तलवार का हाथ था. ये साल 1941 की बात है, जब नेताजी जब सुभाष चंद्र बोस गृह बंदी थे. उन्हें यहां से भगतराम ने भगाया था. बोस ने भगतराम के साथ कोलकाता से काबुल तक यात्रा की, लेकिन उन्हें इस बात की भनक भी नहीं लगी कि भगतराम एक मशहूर जासूस है.
हिटलर को बनाया बेवकूफ
जर्मनी ने भगतराम तलवार को जासूसी पर लगाया था, ताकि ब्रिटेन और मित्र राष्ट्रों के खुफिया मैसेज मिलते रहें. भगतराम उन्हें मैसेज तो भेजता था, लेकिन हिटलर सीक्रेट सर्विस तक पहुंचने वाले सारे संदेश झूठे होते थे. इन्हें दिल्ली स्थित वाईसरीगल पैलेस (राष्ट्रपति भवन) में बनाया जाता था. ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि नाजियों और हिटलर को गुमराह किया जा सके. भगतराम एक डबल एजेंट था, जो अंदर ही अंदर नाजियों के खिलाफ कम्युनिस्टों के साथ काम कर रहा था.
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