हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशे की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हिमाचल प्रदेश में अब पुलिस में भर्ती से पहले सिंथेटिक ड्रग का डोप टेस्ट करवाना ज़रूरी होगा.
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Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में बढ़ते नशाखोरी के खतरे को रोकने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है. अब राज्य में पुलिस में भर्ती से पहले डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. यह टेस्ट सिंथेटिक ड्रग्स (चिट्टा) की जांच के लिए किया जाएगा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जानकारी दी कि सरकार प्रदेश को नशा मुक्त बनाने के लिए गंभीर प्रयासों में जुटी है. इसी दिशा में सभी नए सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति से पहले शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिसमें यह घोषित करना होगा कि वे किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं.
नशामुक्ति के लिए ठोस कदम:
-हर जिले में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए ₹14.95 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है.
-पंचायत स्तर पर भी नशा रोकथाम के लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी, जिनमें पुलिस कांस्टेबल, आशा वर्कर और पंचायत सहायक शामिल होंगे.
PIT-NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई:
-मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने PIT-NDPS एक्ट लागू किया है, जिसके तहत संदेह के आधार पर गिरफ्तारी की जा सकती है.
-अब तक 44 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है.
-₹42.22 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुनी है.
पुलिस व्यवस्था में सुधार:
राज्य के सभी पुलिस थानों को अब A, B, C और D ग्रेड में बांटा जा रहा है. यह ग्रेडिंग जनसंख्या और अपराध दर के आधार पर होगी, जिससे थानों में सुधार और दक्षता लाई जा सकेगी.
हिमाचल सरकार की यह पहल नशे के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस नीति' को दर्शाती है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नशे के कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी और राज्य को नशा मुक्त हिमाचल बनाने के लक्ष्य में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.