Gaza Hunger Crisis: संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टें गाजा की भयावह स्थिति की गवाही देती हैं. गाजा में हर तीसरा आदमी भुखमरी का शिकार है. पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Gaza Hunger Crisis: गाजा इस समय इतिहास के सबसे गंभीर मानवीय संकटों में से एक का सामना कर रहा है. पिछले 653 दिनों से इस छोटे से इलाके में चल रही इज़राइली सैन्य कार्रवाई ने बुनियादी ढांचा, जीवन और मानवीय गरिमा-सब कुछ नष्ट कर दिया है. इज़राइल ने 25 मील लंबे और केवल 7 मील चौड़े इस इलाके पर लाखों टन गोला-बारूद गिराया है. जो बच गए हैं, वे अब भूख, प्यास और चिकित्सा देखभाल के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिए गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टें गाजा की भयावह स्थिति की गवाही देती हैं. लगभग पूरी आबादी–यानी लगभग 20 लाख लोग, हर दिन भोजन, स्वच्छ पेयजल और बुनियादी चिकित्सा सेवाओं की सख्त ज़रूरत में हैं. लेकिन लगातार नाकेबंदी, सीमाओं के बंद होने और युद्ध की तबाही के कारण यह मदद नहीं पहुंच पा रही है.
गाजा में स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बच्चों में कुपोषण की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और अकाल का खतरा अब भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान है. संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) और एमनेस्टी इंटरनेशनल, दोनों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं बदले, तो गाजा में भूख से मौत हो जाएगी.
इज़राइल ने गाजा के तीन इलाकों गाजा सिटी, देर अल-बलाह और अल-मुवासी में सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक 10 घंटे का सामरिक प्रतिबंध लगा दिया है ताकि कथित तौर पर मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके. लेकिन ज़मीनी हालात इसके उलट हैं. इसी दौरान हवाई हमलों और टैंकों की गोलाबारी में दर्जनों लोग मारे गए हैं और कई शरणार्थी शिविर पूरी तरह तबाह हो गए हैं.
इजरायल इस संगठन का है सदस्य
इज़राइल संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों का भी सदस्य है. 193 देशों की एक संयुक्त पहल जो गरीबी, भुखमरी और असमानता को समाप्त करने का संकल्प लेती है लेकिन गाजा में इज़राइल की कार्रवाई इन लक्ष्यों को खुले तौर पर चुनौती दे रही है. जिस तरह से भोजन, पानी और दवाइयां रोकी गई हैं, वह स्पष्ट रूप से एक सुनियोजित मानवीय आपदा और नरसंहार की ओर इशारा करता है.
संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस संकट को "पूरी तरह से अस्वीकार्य" बताया है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है. उन्होंने कहा कि "गाज़ा के मासूम बच्चों और नागरिकों को जीवन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता." लेकिन 192 देशों की खामोशी और लाचारी दर्शाती है कि आज दुनिया में न्याय से ज़्यादा राजनीति हावी हो गई है. गाज़ा की हालत अब "संघर्ष क्षेत्र" से ज़्यादा एक सामूहिक कब्रगाह जैसी हो गई है. जहां ज़िंदा लोग भी मरने का इंतज़ार कर रहे हैं. भूख अब एक हथियार बन गई है और दुनिया एक बार फिर बस देख रही है.
लेखक- शहंशाह अख्तर
लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. यहाँ व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं.