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मुसलमान नमाज अदा करने से पहले क्यों करते हैं दातून, फायदे जानकर उड़ जाएंगे होश

इस्लाम में सफ़ाई को बहुत महत्व दिया जाता है और इसे आधा ईमान माना जाता है. इस परंपरा के तहत, मुसलमान नमाज़ से पहले वुज़ू करते हैं और कई लोग टूथपिक (मिस्वाक) का भी इस्तेमाल करते हैं.

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Miswak Before Namaz: इस्लाम में सफ़ाई को बहुत महत्व दिया जाता है और इसे आधा ईमान माना जाता है. इस परंपरा के तहत, मुसलमान नमाज़ से पहले वुज़ू करते हैं और कई लोग टूथपिक (मिस्वाक) का भी इस्तेमाल करते हैं. दांत साफ़ करना सिर्फ़ मुंह साफ़ करने का एक तरीक़ा नहीं है, बल्कि एक सुन्नत भी है, जिसे पैग़म्बर मुहम्मद (SAW) ने अपनाया और सुझाया था. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि मिस्वाक करने के कितने फायदे हैं.

 

दांत साफ़ करना सुन्नत है

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दांत साफ़ करना सुन्नत है

दांत साफ़ करना पैगंबर मुहम्मद (SAW) की सुन्नत है. वे नमाज़ और वुज़ू से पहले नियमित रूप से दांत साफ़ करते थे. इस प्रथा का पालन करके, मुसलमान पैगंबर की सुन्नत को जिंदा रखते हैं और सवाब हासिल करते हैं. यह सिर्फ सफ़ाई का एक तरीका नहीं है, बल्कि इबादत का एक रूप भी है.

इबादत की ताज़गी

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इबादत की ताज़गी

दांत साफ़ करने से मुंह ताज़ा होता है और इबादत में एक अलग तरह की शांति मिलती है. इससे मन भी ताज़ा होता है, जिससे नमाज़ के दौरान ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. जिस तरह शरीर की सफाई जरूरी है, उसी तरह मुंह की सफाई भी इबादत को सुखद बनाती है.

मुह की सफाई

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मुह की सफाई

इस्लाम में सफाई को आधा ईमान माना जाता है. दांत साफ़ करना मुंह साफ़ करने का एक बेहतरीन तरीका है. यह दांत, जीभ और मसूड़ों को साफ़ रखता है. दांत साफ़ करने से बैक्टीरिया दूर होकर मुंह ताज़ा होता है और इससे मस्जिद में दूसरों को बदबू भी नहीं आती.

फ़रिश्तों के लिए खुशबू

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फ़रिश्तों के लिए खुशबू

हदीसों के मुताबिक, फ़रिश्तों को साफ़-सुथरी जगहें और लोग पसंद होते हैं. जब कोई व्यक्ति नमाज़ से पहले अपने दांत ब्रश करता है, तो उसके मुंह की बदबू दूर हो जाती है. इससे फ़रिश्तों को करीब लाया जाता है और व्यक्ति की नमाज़ पूरी होती है.

अल्लाह की रज़ा

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अल्लाह की रज़ा

पैगंबर मुहम्मद (SAW) ने कहा है कि दांत ब्रश करना "रब की रज़ा" पाने का एक तरीक़ा है. जब कोई शख्स नमाज़ से पहले अपने दांत ब्रश करता है, तो यह दर्शाता है कि वह ख़ुद को अल्लाह के सामने साफ़ और शुद्ध रूप से पेश करना चाहता है. इससे आध्यात्मिक शांति भी मिलती है.

पैगंबर की आदत

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पैगंबर की आदत

मिस्वाक पैगंबर के जीवन का एक अहम हिस्सा था. वह हर वज़ू और नमाज़ से पहले इसका इस्तेमाल करते थे. इस आदत को अपनाना उनके तरीक़ों का पालन करना है. मिस्वाक में शामिल होने का मतलब है उनकी ज़िंदगी और साफ़-सफ़ाई की उनकी परंपरा को ज़िंदा रखना.

सांसों की बदबू से बचाव

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सांसों की बदबू से बचाव

नमाज़ एक सामूहिक नमाज़ है जिसमें कई लोग एक साथ खड़े होते हैं. अगर किसी के मुंह से बदबू आती है, तो यह दूसरों को परेशान करती है. दातुन इस बदबू को दूर करता है, जिससे नमाज़ का माहौल साफ़ और सौहार्दपूर्ण बना रहता है और किसी की नमाज़ में बाधा नहीं आती.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

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स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

दातुन न सिर्फ धार्मिक कारणों से, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व मसूड़ों को मज़बूत करते हैं, दांतों को चमकदार बनाते हैं और पाचन में भी मदद करते हैं. मिस्वाक सांसों की दुर्गंध को भी कम करता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है.

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