Bangladesh News: बंग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अवामी लीग ने दावा किया है कि यूनुस सरकार और उसके समर्थक अवामी लीग के नेताओं की हत्या कर रहे हैं. इसके साथ ही जेलों में कैद अवामी लीग के नेताओं की भी हत्या का आरोप लगाया है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Bangladesh News: बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर हिंसा करने और सरकारी इदारों का गलत इस्तेमाल करने के इल्जाम लग रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने यूनुस सरकार की निंदी की है और देश भर के जेलों में बंद कैदियों की हत्या का आरोप लगाया है.
अवामी लीग ने मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली आंतरिम सरकार पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि यूनुस सरकार 'राज्य मशीनरी का गलत इस्तेमाल करते हुए जेल के भीतर कैदियों की 'पूर्व-नियोजित हत्याएं' कर रही है. अवामी लीग ने दावा किया है कि उनकी पार्टी के सदस्य यूसुफ अली मियां को जेल के अंदर बेरहमी से मार डाला गया. अवामी लीग ने कहा कि यह, मोहम्मद यूनुस के समर्थकों की सीरियल किलर जैसी मानसिकता को दर्शाता है.
फासीवादी है यूनुस सरकार-अवामी लीग
यूनुस सरकार की आलोचना करते हुए अवामी लीग ने कहा, "फासीवादी यूनुस गुट ने गैरकानूनी हत्याओं से बांग्लादेश को एक 'मृत्यु भूमि' में बदल दिया है. देशभर में लोगों को अंधाधुंध मारा जा रहा है. अगर कोई पीड़ित अवामी लीग का कार्यकर्ता या नेता हो, तो उसके साथ क्रूरता की सभी हदें पार कर दी जाती हैं.
पार्टी ने कहा, "इस शासन के लिए, अवामी लीग सदस्यों की मौत मानो एक तरह का विकृत आनंद देती है. ऐसा लगता है जैसे सरकार ने उन्हें किसी को भी मारने का लाइसेंस दे रखा है."
इन घटनाओं ने आक्रोश और चिंताओं को दिया जन्म-अवामी लीग
इससे पहले भी अवामी लीग ने आरोप लगाया था कि मोहम्मद यूनुस के शासन में अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को देश की कई जेलों में निशाना बनाकर मारा जा रहा है. पार्टी ने कहा कि "जेलों में अवामी लीग कार्यकर्ताओं की रहस्यमयी मौतों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे आक्रोश और चिंता बढ़ रही है".
विश्लेषकों ने क्या कहा है?
वहीं, इन घटनाओं पर राजनीतिक विश्लेषकों और अधिकार समूहों का कहना है कि ये कोई अलग-थलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि यूनुस-समर्थित एक गुप्त सत्ता के जरिए संचालित एक सुनियोजित अभियान का हिस्सा हैं. इसका उद्देश्य भय और जुल्म के जरिए प्रो-लिबरेशन (मुक्ति संग्राम समर्थक) राजनीति की रीढ़ को तोड़ना है."
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