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Mosque Colour: सफ़ेद या हरा ही क्यों होता है मस्जिदों का रंग; क्यों बनाये जाते है इसमें गोल गुम्बद ?

भारत और दुनिया भर में मस्जिदों का रंग अक्सर सफ़ेद और हरा होता है. हालांकि, कुछ मस्जिदें लाल, ब्लू, पीले या अन्य रंगों की भी होती है, लेकिन उनमे ज़्यादातर की बनावट और उसके गुम्बद गोलाकार होते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है?

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इस्लाम में मस्जिदों में सफ़ेद, हरे, लाल या ब्लू  रंग का इस्तेमाल किसी सख्त मजहबी मान्यताओं के बजाय यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक संबंधों या भावों को प्रतिबिंबित करता है. इसका कोई मजहबी आधार नहीं है, और न ही मस्जिदों के रंग को लेकर कुरआन या हदीस में कोई स्पष्ट आदेश है. 

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यरुशलम में मस्जिद अल अक्सा में भी हरे रंग और गोल गुम्बद का इस्तेमाल हुआ, जिसे दुनिया भर के मुसलमान और यहूदी भी अपना धार्मिक स्थल मानते हैं और इससे अपना जुड़ाव महसूस करते हैं और मस्जिदों को ऐसा रंग और रूप देने की कोशिश करते हैं. 

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इस्लामी परंपरा में हरे रंग को अक्सर स्वर्ग से जोड़ा जाता है, क्योंकि कुरान में स्वर्ग के वर्णन में अक्सर हरे-भरे बगीचों का उल्लेख मिलता है ( सूरह अल-रहमान, 55:76).. हरे रंग को आशा, ऊर्जा, नयापन, प्रकृति, तरक्की, समृद्धि, उर्वरता और सुखी जीवन का भी प्रतीक माना जाता है. इस वजह से भी मस्जिदों में हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है. 

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हरा और सफ़ेद रंग पैगंबर मुहम्मद (स.) से भी जुड़ा है. कुछ हदीसों में है कि उन्हें हरे और सफ़ेद कपड़े बेहद पसंद थे. वो अक्सर हरे रंग का साफा भी अपने सर में बाँधा करते थे. इस वजह से भी मुसलमान हरे और सफ़ेद रंग से प्रेम करते हैं, और मस्जिदों में इस रंग का इस्तेमाल करते हैं. 

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इस्लाम में सफ़ेद रंग पवित्रता, शांति और सादगी का प्रतीक है. कुरान में अक्सर इसका उल्लेख धार्मिकता और स्वर्ग के संबंध में किया गया है (उदाहरण के लिए, सूरह अल-इमरान, 3:106-107)। सफ़ेद रंग एहराम का भी रंग है, जो हज के दौरान तीर्थयात्रियों द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र है, जो आध्यात्मिक पवित्रता और समानता का प्रतीक है. 

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हरा या सफ़ेद रंग का इस्तेमाल इसलिए भी किया जाता है ताकि मस्जिदों में सादगी बनी रहे.  मस्जिदों को बहुत ज्यादा सजाने- संवारने, रंग- रोगन करने और झाड़- फानूस लगाने से मना किया गया है. ताकि लोग मस्जिदों को अपनी शान-शौकत दिखाने का जरिया न बना लें. समाज में मस्जिद इबादत की जगह दिखावे की चीज़ बनकर न रह जाए. 

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भारत सहित दक्षिण एशिया में कुछ मस्जिदों के रंग हरे और सफ़ेद के अलावा लाल, पीला भी देखा गया है, जो पूरी तरह वहां के स्थानीय सांस्कृतिक सौंदर्यशास्त्र या ऐतिहासिक प्रभावों को प्रतिबिंबित करते हैं. लेकिन इसका कुरान या हदीस से कोई सीधा संबंध नहीं है.

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तुर्की की मस्जिदों में अक्सर नीली टाइलें होती हैं, जबकि मोरक्को की मस्जिदों में जटिल बहुरंगी पैटर्न का उपयोग किया जा सकता है.  रंगों का चुनाव प्रतीकात्मक, सौंदर्यपरक या व्यावहारिक कारणों से किया जाता है.

 

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मस्जिदों में गोल गुम्बद को लेकर भी कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. ये भी स्थानीय वास्तुकला पर निर्भर करती है. लेकिन बग़दाद के बैत उल मुक़द्दस या फिर येरुसलम की मस्जिद अल अक्सा के गोल गुम्बद की कॉपी कर दुनिया भर में लोग गोल गुम्बद वाली मस्जिद बनाते हैं. गोल गुम्बद मस्जिदों में एकरूपता लाने के लिए भी किया जाता है ताकि दूर से ही ये ढांचा पहचान में आ जाए कि ये कोई मस्जिद या इस्लामिक धार्मिक स्थान है.

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