'जींस जिहाद' का आरोप लगाकर कारोबार किया ठप्प; पलायन को मजबूर हुए मुस्लिम मजदूर
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2862038

'जींस जिहाद' का आरोप लगाकर कारोबार किया ठप्प; पलायन को मजबूर हुए मुस्लिम मजदूर

Jeans Jihad in Delhi: पश्चिमी दिल्ली के ख्याला गांव इलाके में उत्तर प्रदेश से आए मुस्लिम दर्जी जींस स्टिचिंग करने का काम करते थे. जैसे-जैसे कारोबार बढ़ा कारिगरों की तादाद भी बढ़ती गई. अब उन पर "जींस जिहाद" और इलाके की डेमोग्राफी बदलने का आरोप लग रहा है. साथ ही वहां से मुस्लिम कारीगर प्लायन कर रहे हैं. कईयों को वापस उत्तर प्रदेश जाना पड़ा है. 

 

AI निर्मित प्रतीकात्मक तस्वीर
AI निर्मित प्रतीकात्मक तस्वीर

Jeans Jihad in Delhi: आजकल किसी भी चीज को जिहाद से जोड़ कर बदनाम करने का ट्रेंड चल पड़ा है. पहले मुसलमानों को जिहादी बोला जाता था. अब उनके जरिए किए जा रहे काम को भी जिहाद कहा जा रहा है. आप ने जनखंख्या जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद, UPSC जिहाद और न जाने कितने तरह के जिहाद के बारे में सुना होगा. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में एक नए तरह के "जींस जिहाद" का खुलासा हुआ है? इस तरह के आरोप से बहुसंख्यक हिंदू समाज में भय फैलाया जाता है, जिससे मुस्लिम समाज से उनकी दूरी और बढ़ी है. जिहाद के नाम ज्यादातर BJP और हिंदू संगठन राजनीति करती है. 

दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्र के खयाला गांव पिछले दो दशकों में जीन्स सिलाई का एक बड़ा हब के रूप में विकसित हुआ. लेकिन 'जींस जिहाद' के अफवाह और इल्जाम के बाद इस व्यापार पर खतरा मंडराने लगा है. यहां उत्तर प्रदेश के उन्नाव, कानपुर जैसे क्षेत्रों से मुस्लिम दर्जी बड़ी तादाद में काम करने आते हैं. जैसे-जैसे यह व्यापार बढ़ा, खयाला को 2021 में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में मान्यता मिल गई और आसपास थोक बाज़ार भी उभरा.

दिल्ली के उद्योग मंत्री और BJP विधायक मंजींदर सिंह सिरसा ने कुछ महीने पहले मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि 'कई मुस्लिम कारीगर बांग्लादेश और रोहिंग्या घुसपैठियों की तरह काम कर रहे हैं ताकि हिंदू‑सिख समुदायों को उस इलाके से हटाया जा सके.' उन्होंने आगे कहा कि 'मैंने बहुत से लोगों को खदेड़ दिया, जो यहां काम करते थे. अब मेरे क्षेत्र की महिलाएं बेटियां सुरक्षित महसूस कर सकती हैं.'

इसके बाद जून के महीने में अवैध घोषित की गई चेन फैक्ट्रियों को सील किया गया, जिससे पूरा जींस कारोबार लगभग बंद हो गया. खयाला से जींस सिलाई करने वाले कारीगर  पलायन करने लगे. कई दर्जियों को रोज़गार छोड़ कर यूपी लौटना पड़ा. स्क्रॉल. इन की एक  रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 15,000 लोग रोजगार के लिए उस क्षेत्र पर निर्भर थे, लेकिन अब कुछ ही बचे हैं.

स्थानीय अब्दुल खान और श्रीकांत पोरवाल जैसे व्यापारी इन आरोपों को गलत करार दिया है. उन्होंने बताया कि हिंदू‑सिख और मुस्लिम समुदायों के बीच कभी तनाव नहीं था. 

 मुस्लिम माइनॉरिटी की ऐसी ही खबरों के लिए विजिट करें https://zeenews.india.com/hindi/zeesalaam

Trending news

;