अमेरिका ने बाद में चीन को छोड़कर अधिकांश देशों के लिए ‘जवाबी शुल्क’ पर 90 दिनों की रोक की घोषणा की. बदले में चीन ने अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला किया है.
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Trump Tariff War: संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक टॉप इकोनॉमिस्ट ने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ के कारण ग्लोबल ट्रेड में तीन प्रतिशत की कमी आ सकती है. निर्यात अमेरिका और चीन जैसे बाजार से भारत, कनाडा और ब्राजील की तरफ मूव हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते टैरिफ प्लान का ऐलान किया था. अमेरिका ने बाद में चीन को छोड़कर अधिकांश देशों के लिए ‘जवाबी शुल्क’ पर 90 दिनों की रोक की घोषणा की. बदले में चीन ने अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला किया है.
ग्लोबल ट्रेड में 3 प्रतिशत की कमी आने की आशंका
इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पामेला कोक-हैमिल्टन ने जिनेवा में कहा, 'व्यापार तरीके और आर्थिक एकीकरण (Economic Integration) में अहम लॉन्ग टर्म बदलावों के साथ ग्लोबल ट्रेड में तीन प्रतिशत की कमी आ सकती है.' उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए, मेक्सिको से निर्यात जो अत्यधिक प्रभावित हुआ है, अमेरिका, चीन, यूरोप और यहां तक कि अन्य लातिन अमेरिकी देशों जैसे बाजारों से ट्रांसफर हो रहा है. इससे निर्यात कनाडा और ब्राजील और कुछ हद तक भारत में मामूली लाभ हो रहा है.'
रोजगार के मामले में फैब्रिक इंडस्ट्री टॉप पर
उन्होंने कहा इसी तरह वियतनामी निर्यात अमेरिका, मैक्सिको और चीन से हट रहा है, जबकि पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका (MENA) बाजारों, यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और अन्य बाजारों की ओर काफी बढ़ रहा है. कपड़ों का उदाहरण देते हुए कोक- हैमिल्टन ने कहा कि विकासशील देशों के लिए आर्थिक गतिविधि और रोजगार के मामले में फैब्रिक इंडस्ट्री टॉप पर है. इस बारे में उन्होंने कहा कि अगर यह लागू होता है तो दुनिया के दूसरे सबसे बड़े परिधान निर्यातक बांग्लादेश को 37 प्रतिशत का जवाबी शुल्क झेलना पड़ेगा, जिससे 2029 तक अमेरिका को वार्षिक निर्यात में 3.3 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.
अनिश्चितता के समय से निपटने का मौका
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के लिए किसी भी ग्लोबल झटके से निपटने के लिए समाधान का एक अहम हिस्सा- चाहे वह कोविड महामारी हो, जलवायु आपदा हो या नीतियों में अचानक बदलाव हो - तीन क्षेत्रों - विविधीकरण, मूल्य संवर्धन और क्षेत्रीय एकीकरण को प्राथमिकता देने में निहित है. उन्होंने कहा, 'इसलिए विकासशील देशों के लिए न केवल अनिश्चितता के समय से निपटने के अवसर हैं, बल्कि लंबी अवधि के लिए सक्रिय रूप से तैयारी करने के भी अवसर हैं.'
कोक-हैमिल्टन ने कहा कि फ्रांसीसी अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान सीईपीआईआई के साथ तैयार प्रारंभिक अनुमान, 90-दिवसीय विराम की घोषणा और चीन पर अतिरिक्त शुल्क बढ़ोतरी से पहले गणना की गई थी. यह दर्शाता है कि 2040 तक, तथाकथित ‘जवाबी’ शुल्क और प्रारंभिक प्रतिवादों का प्रभाव वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 0.7 प्रतिशत तक कम कर सकता है. मेक्सिको, चीन और थाईलैंड जैसे देशों और दक्षिणी अफ्रीका के देश भी अमेरिका के साथ-साथ सबसे अधिक प्रभावित हैं.
अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाने के चीन के फैसले पर, एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) के वाशिंगटन डीसी स्थित कार्यालय की उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक वेंडी कटलर ने कहा कि अमेरिकी आयात पर शुल्क बढ़ाने की चीन की घोषणा से यह स्पष्ट है कि यह उम्मीदें गलत हैं कि चीन इस व्यापार युद्ध में पहले कदम उठाएगा. उन्होंने कहा, 'चीन को लंबी लड़ाई लड़नी है. उसने शायद यह संकेत देते हुए कि यह भी स्वीकार किया है कि वह शुल्क के साथ जवाबी कार्रवाई करने के अंतिम बिंदु पर पहुंच गया है कि उसके पास अपने शस्त्रागार में बहुत सारे अन्य उपकरण हैं जिन्हें आगे सक्रिय किया जा सकता है यदि अमेरिका आज अतिरिक्त उपायों के साथ जवाब देता है.'