महिलाओं के लिए कितना खतरनाक है इंफ्लेमेशन? स्टडी ने बताया हार्ट डिजीज बढ़ने का रिस्क
Advertisement
trendingNow12868300

महिलाओं के लिए कितना खतरनाक है इंफ्लेमेशन? स्टडी ने बताया हार्ट डिजीज बढ़ने का रिस्क

पिछले कुछ सालों में महिलाओं में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा देखा गया है. ऐसे में नई स्टडी ने हार्ट डिजीज का खौफ और ज्यादा बढ़ा दिया है.

महिलाओं के लिए कितना खतरनाक है इंफ्लेमेशन? स्टडी ने बताया हार्ट डिजीज बढ़ने का रिस्क

Women's Health: एक नई स्टडी के मुताबिक क्रॉनिक इंफ्लेमेशन महिलाओं में कमजोरी, सामाजिक असमानता और कार्डियोवेस्कुलर डिजीज (CVD) के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हो सकती है. ये स्टडी कम्युनिकेशंस मेडिसिन (Communications Medicine) जर्नल में छपी है. इसमें 37 से 84 साल की उम्र की 2 हजार से ज्यादा महिलाओं के ब्लड सैंपल में 74 इंफ्लेमेशन-से जुड़े प्रोटीन को एनालाइज किया गया. रिसर्च में ये समझने की कोशिश की गई कि इंफ्लेमेशन कैसे कमजोरी, सोशियली बैकवार्ड एरियाज में रहने और हार्ट डिजीज के रिस्क से जुड़ा है.

महिलाओं को खतरा क्यों?
रिसर्चर्स ने 10 ऐसे प्रोटीन की पहचान की, जो कमजोरी और सामाजिक रूप से पिछड़े इलाकों में रहने, दोनों से जुड़े हैं. इनमें से 4 प्रोटीन (टीएनएफएसएफ14, एचजीएफ, सीडीसीपी1 और सीसीएल11, जो सेल्युलर सिग्नलिंग, ग्रोथ और मूवमेंट में शामिल हैं). हार्ट डिजीज के बढ़ते खतरे से भी जुड़ा पाए गए. खास तौर से सीडीसीपी1 प्रोटीन का दिल से जुड़ी परेशानियों (जैसे नसों का तंग होना या ब्लॉक होना) से गहरा कनेक्शन पाया गया.

कुछ प्रोटीन जिम्मेदार
ये फाइंडिंग्स बताते हैं कि कुछ प्रोटीन सामाजिक असमानता, उम्र बढ़ने और हार्ट डिजीज के बीच बायोलॉजिकल लिंक का काम कर सकते हैं. रिसर्चर्स ने इन रिजल्ट्स को एक अलग ग्रुप की महिलाओं पर भी देखा, ताकि ये एनश्योर हो कि फाइंडिंग्स कई आबादी में लागू होते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
किंग्स कॉलेज लंदन (King's College London) के ट्विन रिसर्च एंड जेनेटिक एपिडेमियोलॉजी डिपार्टमेंट में रिसर्च एसोसिएट डॉ. यू लिन (Dr. Yu Lin) ने स्टडी के बारे में बताया. उन्होंने बताया, "हमने ब्लड में कई इन्फ्लेमेशन-से जुड़े प्रोटीन की जांच की, ताकि ये समझ सकें कि कमजोरी और सामाजिक असमानता हार्ट डिजीज को कैसे अफेक्ट करती हैं. इन प्रोटीन से हमें रिस्क फैक्टर्स के बीच एक शेयर्ड पाथवेज का पता चला. हम सोशल और हेल्थ से जुड़ी कमजोरियों से जुड़े बायोलॉजिकल मार्कर्स की पहचान करके, इन रिस्क फैक्टर्स के बीच एक संभावित साझा मार्ग का पता लगाने में सक्षम हुए."

किंग्स कॉलेज लंदन में मॉलिक्यूलर एपिडेमियोलॉजी की सीनियर लेक्चरर डॉ. क्रिस्टीना मेन्नी (Dr. Cristina Menni) ने बताया, "कमजोरी, सामाजिक असमानता और दिल की बीमारियां अक्सर एक साथ देखे जाते हैं, लेकिन इनके बीच बायोलॉजिकल लिंक पूरी तरह समझा नहीं गया था. हमारी फाइंडिंग्स बताती हैं कि सोशल स्ट्रेस इंफ्लेमेशन को बढ़ावा दे सकता है, जो सेहत को नुकसान पहुंचाता है."

रोकने के उपाय
डॉ. मेन्नी ने आगे बताया कि अगर ये फाइंडिंग्स और कंफर्म होते हैं, तो इंफ्लेमेशन कम करने वाली मेडिकल और सामाजिक असमानता को कम करने वाली नीतियां बना से हार्ट डिजीज को रोका जा सकता है. ये प्रोटीन बायोमार्कर के तौर पर भी काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर हार्ट डिजीज के रिस्क वाले लोगों की पहचान कर सकें. ये स्टडी चिकित्सा और सामाजिक नीतियों के कॉम्बिनेशन से कमजोर आबादी में हार्ट डिजीज के रिस्क को कम करने की दिशा में एक असरदार कदम उठाने का सुझाव देता है.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

About the Author
author img
Shariqul Hoda शारिक़ुल होदा

ज़ी न्यूज में सीनियर सब एडिटर. हेल्थ और लाइफस्टाइल की स्टोरीज करते हैं. नेशनल, इंटरनेशनल, टेक, स्पोर्ट्स, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और लाइफस्टाइल का लंबा तजुर्बा है. जर्नलिज्म करियर की शुरुआत 2...और पढ़ें

TAGS

Trending news

;