Bihar SIR: जिंदा वोटरों को भी 'मृतक' बताकर काटा नाम! बेगूसराय में SIR पर उठे सवाल
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Bihar SIR: जिंदा वोटरों को भी 'मृतक' बताकर काटा नाम! बेगूसराय में SIR पर उठे सवाल

Bihar Voter List SIR: बेगूसराय जिले की साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची के एसआईआर प्रक्रिया में दर्जनों जिंदा लोगों के नाम काट दिए गए हैं. बीएलओ की लापरवाही से उन्हें 'मृतक' बताया गया है. इस खबर के सामने आने पर सियासी घमासान मच सकता है.

बिहार मतदाता सत्यापन
बिहार मतदाता सत्यापन

Bihar Voter List SIR Draft: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी घमासान जारी है. चुनाव आयोग के मुताबिक, मतदाता सूची के एसआईआर प्रक्रिया में 65 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम काट दिए गए हैं. इसको लेकर सियासी बवाल छिड़ गया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपना नाम कटने के आरोप लगा डाले. बाद में पता चला कि तेजस्वी का नाम नहीं कटा है, बल्कि वे गलत जानकारी दे रहे थे. इसको लेकर अब बीजेपी हमलावर है, क्योंकि तेजस्वी ने गलत EPIC की जानकारी देकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी. इस सबके बीच बेगूसराय जिले की साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. 

बताया जा रहा है कि यहां मतदान केंद्र संख्या 107 पर ड्राफ्ट मतदाता सूची में दर्जनों मृतकों के नाम दर्ज हैं. गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद जारी इस सूची ने चुनाव आयोग की कार्यशैली और जिला प्रशासन की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.भूमिहार बहुल सदानंदपुर गांव में शांति देवी, जिनकी मृत्यु जून 2012 में हो चुकी है, उनका नाम अब भी क्रमांक 177 पर मौजूद है. उनके बेटे अजय कुमार सिंह की मौत 2018 में हो गई, फिर भी उनका नाम क्रमांक 413 पर दर्ज है. शांति देवी के दूसरे बेटे सुधीर सिंह ने मीडिया को बताया कि वो हैरान हैं कि मां और भाई की मृत्यु के वर्षों बाद भी उनका नाम कैसे सूची में है.

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ऐसा ही मामला क्रमांक 418 पर कृष्णा देवी और 419 पर उनके पति चक्रधर सिंह का है. दोनों की मौत 2014 और 2018 में हो चुकी है. पुत्र संजय कुमार ने कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया में बहुत बड़ी चूक है.और भी मामले हैरान कर देने वाले हैं. बेगट तांती और जगतारी देवी, जिनकी मौत 7-8 साल पहले हो चुकी है, फिर भी नाम क्रमांक 325 और 326 पर दर्ज हैं.प्रेम कुमार सिंह (मृत्यु: जुलाई 2023), क्रमांक 523 पर. अभिनंदन कुमार सिंह, जिनकी मृत्यु कई साल पहले हुई, फिर भी क्रमांक 536 पर सूची में दर्ज हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, केवल एक मतदान केंद्र (107) पर ही 20 से ज्यादा मृतक अब भी मतदाता सूची में मौजूद हैं. इस मतदान केंद्र के बीएलओ सनत कुमार से जब संपर्क करने की कोशिश की गई, तो फोन उठाने वाले ने बताया कि वो बीमार हैं और बात नहीं कर सकते.

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अब सवाल ये उठता है कि जब बेगूसराय जिले में 1,68,000 मतदाताओं का नाम पुनरीक्षण में हटाया गया, फिर भी इस तरह की भारी गड़बड़ी कैसे हुई. क्या गहन पुनरीक्षण सिर्फ कागजों तक सीमित था. यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह, जो केंद्र में मंत्री भी हैं, उसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत ये गड़बड़ियां सामने आई हैं. वहीं उनका पारिवारिक गांव सदानंदपुर भी इस गड़बड़ी से अछूता नहीं रहा.हालांकि, 1 अगस्त से 1 सितंबर तक विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां लोग आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, नाम जुड़वा सकते हैं या कटवा सकते हैं. लेकिन सवाल वही है — जब मृतकों का नाम सूची में है और जीवितों का नाम गायब, तो मतदाता सूची कितनी भरोसेमंद है.

रिपोर्ट- जितेंद्र

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