Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर देवलोक बना देवघर, भव्य शिव बारात में उमड़ा जनसैलाब
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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर देवलोक बना देवघर, भव्य शिव बारात में उमड़ा जनसैलाब

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के मौके पर झारखंड का देवघर शहर देवलोक बन गया. शिव बारात देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचे.

देवलोक बना देवघर
देवलोक बना देवघर

देवघर: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में बुधवार को महाशिवरात्रि पर निकाली गई शिव बारात में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. झारखंड सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की ओर से किए जा रहे इस आयोजन में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों की जीवंत झांकी, ड्रोन शो, लेजर शो और नाचते-गाते भूत-प्रेत का कारवां आकर्षण का केंद्र रहा. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर स्थित कमल कांत नरौने (केकेएन) स्टेडियम में आयोजित एक समारोह के बाद बारात को रवाना किया.

शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी बारात में लगभग दो लाख लोग शामिल हुए. सड़कों के किनारे घरों की छतों पर खड़े लोग बारात में शामिल लोगों पर पुष्प वर्षा करते रहे. बारात में 50 घोड़े, 15 ऊंट और 250 झंडों के साथ विभिन्न सांस्कृतिक दल शामिल हुए। बारात मार्ग पर 30-40 मंच बनाए गए, जहां कलाकार गीत-नृत्य के कार्यक्रम प्रस्तुत करते दिखे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शिव बारात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “आज बाबा बैद्यनाथ धाम की पावन नगरी में महाशिवरात्रि महोत्सव और शिव बारात के शुभ अवसर पर शामिल होने का परम सौभाग्य मिला. यह शिव बारात सिर्फ शिव बारात मात्र नहीं है, यह ऐसा समागम है, जिसका कोई दायरा नहीं है. आप सभी की सहभागिता के साथ झारखंड सरकार द्वारा महाशिवरात्रि महोत्सव और शिव बारात को वृहद रूप देने की कोशिश की गई है. आने वाले दिनों में आस्था के इस पावन केंद्र को आप सभी के साथ से और भव्य रूप देने पर काम होगा. यहां उपस्थित सभी लोगों को मेरी हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार.”

महोत्सव में झारखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, विधायक सुरेश पासवान भी उपस्थित रहे. दूसरी तरफ कामनालिंग पर जलार्पण के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. सुबह तीन बजे मंदिर का पट खुलने के बाद पारंपरिक कांचा जल पूजा और सरदारी पूजा हुई. इसके बाद आम भक्तों के लिए 4.30 बजे मंदिर के कपाट खोले गए. शाम छह बजे तक डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर लिया.

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वहीं, रात में सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा की अगुवाई में चतुष्प्रहर पूजा शुरू हुई. बाबा के विग्रह पर साड़ी एवं श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के बाद बेलपत्र से सिंदूर अर्पित किया जाएगा. संभवतः यह एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शंकर पर महाशिवरात्रि पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. महाशिवरात्रि के दसवें दिन बाबा का दशहरा पर्व मनाया जाएगा. इस दिन बाबा और मां पार्वती के बीच बंधे गठबंधन को खोला जाएगा. मान्यता है कि बाबा धाम प्रकृति और पुरुष का मिलन स्थल है. यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है.

अनपुट- आईएएनएस

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