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Bagaha Referral Hospital: जब बगहा का रेफरल अस्पताल खुद पड़ा बीमार, फिर कैसे होगा मरीजों का इलाज!

पश्चिमी चंपारण के बगहा के सेमरा में करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल पिछले तीन सालों से खुद बीमार पड़ा है! इस हाई टेक हॉस्पिटल इलाज की सुविधाएं आज भी लोगों को नसीब नहीं हुईं.

रेफरल हॉस्पिटल को ही APHC में मर्ज कर चलाया जा रहा

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रेफरल हॉस्पिटल को ही APHC में मर्ज कर चलाया जा रहा

पश्चिमी चंपारण के बगहा के सेमरा में करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल पिछले तीन सालों से खुद बीमार पड़ा है! इस हाई टेक हॉस्पिटल में इलाज की सुविधाएं आज भी लोगों को नसीब नहीं हुईं. लिहाजा, इमरजेंसी की हालत या किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को सीमावर्ती गोरखपुर या जिला मुख्यालय स्थित GMCH बेतिया की ओर से करीब 100-100 किलोमीटर दूर रुख करना पड़ता है. वहीं, इस रेफरल हॉस्पिटल को ही APHC में मर्ज कर चलाया जा रहा है. 

ताला अस्पताल की शोभा बढ़ा रहा

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ताला अस्पताल की शोभा बढ़ा रहा

दरअसल, अतिपिछड़े सेमरा के इलाके में साल 2022 में करोड़ों की लागत से बनकर तैयार रेफरल हॉस्पिटल का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया, लेकिन यहां न तो डॉक्टरों की तैनाती हुईं और न ही कोई स्थायी मेडिकल स्टाफ नियुक्त किया गया है. अस्पताल में कोई भी मेडिकल जांच उपकरण तक उपलब्ध नहीं हैं. आलम यह है की इमरजेंसी धूल फांक रहा है और मुख्य दरवाजे पर लटका ताला अस्पताल की शोभा बढ़ा रहा है. इतना हीं नहीं अस्पताल का कुछ हिस्सा छत और दीवार दरक कर गिरने लगा है. जबकि घास पात और झाड़ियों से अस्पताल घिरने लगा है. 

तकरीबन आठ करोड़ की लागत से रेफरल अस्पताल बना

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तकरीबन आठ करोड़ की लागत से रेफरल अस्पताल बना

बताया जा रहा है कि सेमरा में इस उद्देश्य से तकरीबन आठ करोड़ की लागत से रेफरल अस्पताल बना ताकि इस अतिपिछड़े इलाके के लाखों लोगों कों मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकें. जब इस अस्पताल का निर्माण हुआ तो लोगों में आस जगी. उन्हें सरकारी स्तर पर हर वह सुविधाएं मिलेंगी, जो अनुमंडल या सदर अस्पताल में मिलती हैं, लेकिन अब भी हजारों लोग बाहर जाकर दवा इलाज और जांच करवाने को मजबूर हैं. 

कोई इमरजेंसी की व्यवस्था नहीं

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कोई इमरजेंसी की व्यवस्था नहीं

हैरत की बात है ये कि अस्पताल भवन अंदर और बाहर से देखने में किसी मॉडल हेल्थ सेंटर जैसा दिखता है, लेकिन बदहाली का मंजर हकीकत बयां करने को काफी है, क्योंकि यहां न तो ओपीडी शुरू और ना ही कोई इमरजेंसी की व्यवस्था है. ऑपरेशन थिएटर में ताले लटके हैं. दीवारें अब जर्जर होने लगी हैं. इस अस्पताल परिसर की साफ-सफाई भी नहीं होती है तभी तो गंदगी के बीच झाड़ियां उग आईं हैं. 

अस्पताल है, लेकिन किसी काम का नहीं!

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अस्पताल है, लेकिन किसी काम का नहीं!

स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल तो बन गया, लेकिन यहां डॉक्टर नहीं हैं. न तो दवाई और इंजेक्शन मिलता है, ना ही कोई जांच होती है. मजबूरन लोगों को काफी दूर बाहर जाना पड़ता है. बच्चों को बुखार भी हो जाए तो भी इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है. अस्पताल है, लेकिन किसी काम का नहीं! 

बगहा 2 पीएचसी के अंतर्गत

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बगहा 2 पीएचसी के अंतर्गत

खास बात यह है कि यह रेफरल अस्पताल हरनाटांड बगहा 2 पीएचसी के अंतर्गत चलाया जा रहा है. जहां डॉक्टर्स, नर्स समेत करीब 200 स्टॉफ की बहाली और तैनाती नहीं होने के कारण हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के डॉक्टर, नर्स या एक-दो पैरामेडिकल स्टाफ हैं. यहां दवा, ओपीडी सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही एक आयुष चिकित्सक के भरोसे है. 

डॉ. विजय कुमार ने क्या बताया, जानिए

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डॉ. विजय कुमार ने क्या बताया, जानिए

इस मामले में पश्चिम चंपारण जिला के सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार ने बताया कि सेमरा रेफरल अस्पताल हरनाटांड पीएससी के अधीन आता है. अस्पताल के दयनीय स्थिति की हमें भी जानकारी है. मैं खुद कई बार वहां गया हूं. डॉक्टरों और स्टॉफ की नियुक्ति के लिए कई बार विभाग को पत्र भेजा गया है. फिलहाल, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर APHC के डॉक्टर और स्टॉफ के माध्यम से मरीजों कों ओपीडी की सेवा दीं जा रही है. 

रिपोर्ट: इमरान अजीज

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