Giridih News: धनबाद के केशरगढ़ स्थित अवैध कोयला खदान में चाल धंसने से 6 मजदूरों की मौत हो गई, जिनमें 4 गिरिडीह के निवासी थे.
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गिरिडीह: झारखंड की कोयला राजधानी कहे जाने वाले धनबाद से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. काले हीरे की इस धरती पर कोयले की काली कमाई ने एक बार फिर 6 गरीब मजदूरों की जान ले ली. इस हादसे ने न केवल प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह भी उजागर कर दिया कि कैसे स्थानीय नेताओं और कोयला माफियाओं की मिलीभगत से गरीबों की जान को मौत की खदान में धकेल दिया जाता है.
ताजा मामला धनबाद जिले के कतरास बाघमारा थाना क्षेत्र के केशरगढ़ स्थित अवैध कोयला खदान का है. मंगलवार की शाम को अवैध खनन के दौरान चाल धंसने की एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई. मरने वालों में से चार मजदूर गिरिडीह जिले के बताए जा रहे हैं. मृतकों की पहचान चरकु अंसारी उर्फ अजीज, अफजल अंसारी उर्फ खान साहब, मो. जमशेद और दिलीप साव के रूप में हुई है. सभी गिरिडीह के गांडेय विधानसभा क्षेत्र के निवासी थे, जहां से विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन हैं.
घटना की सूचना जब मृतकों के परिजनों को मिली तो वे घटनास्थल पर पहुंचे. लेकिन कोयला माफियाओं ने परिजनों को मौके तक पहुंचने नहीं दिया. उन्हें खदान के पास ही रोक दिया गया और पीड़ितों को चुप कराने के लिए पैसे का लालच दिया गया. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, माफिया बड़ी गाड़ियों में नोटों से भरे बैग लेकर पहुंचे थे. किसी को 10 लाख, तो किसी को 20 लाख रुपए देकर वहां से भगा दिया गया. यह सौदा इस हद तक अमानवीय था कि मृतकों की लाश तक उनके परिवार वालों को नहीं सौंपी गई, बल्कि JCB से खदान को मिट्टी से भरवा दिया गया, ताकि किसी को घटना की भनक तक न लगे.
मृतक चरकु अंसारी की पत्नी सरीता खातून ने रोते हुए बताया कि उनके पति शनिवार को धनबाद के इसी खदान में काम करने गए थे. गांव से हर दिन 50 से अधिक लोग इसी खदान में काम करने जाते हैं. शनिवार को भी सब गए थे, लेकिन पांच लोग वापस नहीं लौटे. जब वे लोग खदान पर पहुंचे, तो उन्हें वहां से जबरन भगा दिया गया. सरीता के आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. उनका कहना है कि उनके दस बच्चे हैं, अब उनका पालन-पोषण कौन करेगा? और तो और, पति की लाश तक नहीं मिली.
वहीं मृतक अफजल अंसारी के पिता और पत्नी ने भी सरकार और प्रशासन से शव की बरामदगी की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि घटना तो हो चुकी, लेकिन अंतिम दर्शन का अधिकार तो मिलना चाहिए. इसी तरह मो. जमशेद और दिलीप साव के परिजन भी शवों को लेकर परेशान हैं. उनका आरोप है कि कोयला माफियाओं ने शवों को खदान में ही छिपा दिया है, ताकि किसी प्रकार की जांच न हो सके.
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इस हादसे के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है. विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि अवैध खनन और तस्करी के इस खेल में सरकार खुद मूकदर्शक बनी हुई है. वहीं अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या बयान सामने नहीं आया है.
इनपुट- मृणाल सिन्हा
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