नदी से खोदकर पानी पीने को मजबूर हरिजन टोला के लोग, हर महीने आ जाता है पानी का बिल
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नदी से खोदकर पानी पीने को मजबूर हरिजन टोला के लोग, हर महीने आ जाता है पानी का बिल

Giridih News: गिरिडीह नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 15 करबला रोड (हरिजन टोला) के 50 से अधिक परिवार भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं.

गिरिडीह नगर निगम
गिरिडीह नगर निगम

गिरिडीह: गिरिडीह नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 15 करबला रोड (हरिजन टोला) के लोगों की जिंदगी इन दिनों पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष बन चुकी है. चकाचौंध भरे इस शहर में जहां हर शाम बिजली की रोशनी से हर घर जगमगाता है, वहीं पेयजल के लिए लोग अब भी नालियों से भरे नदी में चुंआ खोदकर पानी लाने को मजबूर हैं. हैरानी की बात यह है कि यह स्थिति किसी दूरदराज गांव की नहीं, बल्कि नगर निगम क्षेत्र की है, जहां करीब 50 से अधिक परिवार पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर निगम द्वारा पेयजलापूर्ति योजना के तहत मुहल्ले में पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन पिछले चार से पांच वर्षों में इन पाइपों से कभी पानी निकलते हुए किसी ने नहीं देखा. गर्मी के इस भीषण दौर में पानी की यह किल्लत लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों और खासकर महिलाओं को इस संकट का सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय निवासी महेश जमुआर, रानी देवी, अनिल दास, रिंकी देवी, मनोज राम, लक्खी रवानी, मीणा देवी, नेपाली राम और सुरेश दास समेत अन्य ने बताया कि भले ही वे शहर में रह रहे हों, लेकिन हालात गांव से भी बदतर हैं. लोगों को बगल के मुहल्लों में जाकर पानी की भीख मांगनी पड़ती है. वे बताते हैं कि जैसे ही किसी के घर मोटर से पानी चलाया जाता है, वैसे ही दर्जनों लोग डब्बा-बाल्टी लेकर लाइन में खड़े हो जाते हैं. हर दिन दो-चार डब्बा पानी लाना उनके लिए एक बड़ी जंग जीतने जैसा होता है.

स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि कुछ परिवारों के सदस्य रात भर नल के सामने बैठकर पानी का इंतज़ार करते हैं. लोगों का कहना है कि कभी-कभी आधी रात एक-दो बजे अचानक कुछ देर के लिए पानी आता है, लेकिन तब तक लोग सो चुके होते हैं और अधिकांश को इसका पता भी नहीं चलता. इसी कारण अब लोग रतजगा करने पर मजबूर हैं, ताकि शायद रात में कहीं पानी आ जाए. मुहल्ले के युवक सुनील दास का कहना है कि "हमें भगवान का दर्शन तो शायद हो जाए, लेकिन पानी का नहीं." वह व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि जब वह मां गंगा को सच्चे मन से पुकारता है, तभी कहीं जाकर पानी आता है, लेकिन बार-बार मां गंगा भी उसकी पुकार नहीं सुनती.

लोगों ने बताया कि इस गंभीर समस्या को लेकर उन्होंने कई बार नगर निगम को लिखित आवेदन दिया है, लेकिन न तो किसी अधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया और न ही आज तक समस्या का कोई समाधान हुआ. हैरान करने वाली बात यह है कि नगर निगम पानी की आपूर्ति तो नहीं कर पा रहा, लेकिन हर महीने नियमित रूप से पानी का बिल जरूर भेजता है. इससे लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है.

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अब स्थानीय लोग आंदोलन के मूड में हैं. उनका कहना है कि जब तक निगम पानी उपलब्ध नहीं कराएगा, तब तक कोई भी परिवार पानी का बिल जमा नहीं करेगा. साथ ही सभी लोग एकजुट होकर नगर निगम कार्यालय में धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे हैं. इस पेयजल संकट ने जहां एक ओर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी उजागर कर दिया है कि शहर के भीतर ही कई इलाके ऐसे हैं, जहां विकास की बुनियादी सुविधाएं आज भी केवल कागजों तक सीमित हैं. करबला रोड हरिजन टोला के लोग अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद उनका संघर्ष और आवाजें प्रशासन के कानों तक पहुंचे और उन्हें भी पानी की उस बुनियादी सुविधा का लाभ मिल सके, जो हर नागरिक का अधिकार है.

इनपुट- मृणाल सिन्हा

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