सफेद रेत का काला खेल, पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से गिरिडीह में फल-फूल रहा बालू माफिया का सिंडिकेट
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सफेद रेत का काला खेल, पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से गिरिडीह में फल-फूल रहा बालू माफिया का सिंडिकेट

Sand Mafia Syndicate: गिरिडीह जिले के मटरुखा में बराकर नदी से बड़े पैमाने पर बालू तस्करी हो रही है, जिसमें पुलिस, प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत है.

बालू माफिया का सिंडिकेट
बालू माफिया का सिंडिकेट

गिरिडीह: गिरिडीह जिले के मटरुखा इलाके में बराकर नदी से बड़े पैमाने पर बालू तस्करी का खेल इन दिनों पूरे जोर पर है. यह अवैध कारोबार दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक खुलेआम चल रहा है. गिरिडीह के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में स्थिति यह है कि रोजाना करीब 500 से 1000 ट्रैक्टर बालू का उठाव किया जा रहा है. इस काले खेल में पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी भूमिका सामने आ रही है.

नदियों से हो रहे इस अंधाधुंध दोहन से न केवल नदियों का अस्तित्व संकट में है, बल्कि पुलों की नींव भी कमजोर होती जा रही है. बराकर नदी से निकाले गए बालू को पहले गिरिडीह से सटे धनबाद जिले के सर्रा में डंप किया जाता है. वहां से यह बालू हाइवा और ट्रकों में लोड कर ऊंचे दामों पर बेचा जाता है. जहां गिरिडीह में प्रति ट्रैक्टर बालू की कीमत लगभग 3000 रुपये होती है, वहीं धनबाद में यही बालू 8 से 10 हजार रुपये में बिकता है.

सिंडिकेट का जाल गिरिडीह से लेकर धनबाद तक फैला हुआ है. थानों में प्रति ट्रैक्टर 2500 रुपये बतौर हफ्ता जाता है, जबकि गिरिडीह-धनबाद सीमा पर प्रवेश के समय भी गोबिंद मरिक नामक व्यक्ति द्वारा प्रति ट्रैक्टर 2500 रुपये वसूले जाते हैं. इस अवैध कारोबार में भगीरथ मंडल, करण मंडल, खेदन मंडल, रविंद्र मंडल समेत कई स्थानीय धंधेबाजों की सक्रिय भूमिका है. मटरुखा के जंगलों को सेफ जोन बनाकर बालू को डंप किया जा रहा है.

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चौंकाने वाली बात यह है कि माइनिंग विभाग से लेकर पुलिस तक, कोई भी इस तस्करी को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है. सब कुछ मिलीभगत के चलते अंधेरे में दबा दिया जा रहा है, और बालू माफिया का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है.

इनपुट: मृणाल सिन्हा

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