Bihar SIR Case Hearing: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश करनी शुरू कर दीं.
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Bihar SIR Case Hearing: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश करनी शुरू कर दीं. दलीलें पेश करने के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी को न्यायमूर्ति जस्टिस सूर्यकांत ने टोका और उन्होंने बिहार की गलत छवि पेश न करने को कहा. दरअसल, सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि बिहार में 36 लाख पासपोर्ट धारक हैं. इस बात से न्यायमूर्ति जस्टिस सूर्यकांत उत्साहित दिखे और बोले: यह उत्साहजनक है कि बिहार में कथित तौर पर 36 लाख लोगों के पास पासपोर्ट हैं. इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ये संख्या गलत है. फिर न्यायमूर्ति जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हमें बिहार को इस तरह पेश नहीं करना चाहिए. आइए, जानते हैं कोर्ट में बिहार को लेकर क्या क्या बातें हुईं?
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अदालत: पहचान पत्र या पेंशन दस्तावेज़ या पीपीओ उन दस्तावेज़ों में से एक है.. अगर कवर किए गए लोगों के पास पीपीओ के अलावा कोई अन्य दस्तावेज़ है, तो उन पर भी विचार किया जा सकता है.
सिंघवी: विकल्पों का कोई विस्तार नहीं है.. बिहार के अधिकांश लोगों के पास यह नहीं है.
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सिंघवी: बिहार में ग्रामीण इलाके हैं, बाढ़ प्रभावित इलाके हैं... 11 दस्तावेज़ों की एक अच्छी सूची बनाने का क्या मतलब है, जब 2 या 3 दस्तावेज़ों का तो सवाल ही नहीं उठता? भारत के कई राज्यों में दस्तावेज़ संख्या 6 नहीं है. बिहार में तो बिल्कुल नहीं है.
न्यायालय ने कहा कि यह उत्साहजनक है कि बिहार में कथित तौर पर 36 लाख लोगों के पास पासपोर्ट हैं.
सिंघवी: ये संख्याएँ गलत हैं.
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न्यायमूर्ति कांत: हमें बिहार को इस तरह पेश नहीं करना चाहिए. अखिल भारतीय सेवाओं के संदर्भ में, सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व इसी राज्य से है. सबसे ज़्यादा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस यहीं से हैं. अगर युवा आबादी प्रेरित नहीं होगी तो यह संभव नहीं हो सकता.
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