Bihar News: बिहार ने 2023-24 में 14.47फीसदी की मजबूत आर्थिक बढ़ोतरी दर्ज करना जारी रखा है, जो राष्ट्रीय औसत 9.6 फीसदी से काफी ज्यादा है. 2023-24 के बजट में आवंटित 3.26 लाख करोड़ रुपये में से केवल 2.6 लाख करोड़ रुपए (79.92 फीसदी) ही वास्तव में खर्च किए गए.
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Bihar CAG report: बिहार विधानसभा में 24 जुलाई, 2025 दिन गुरुवार को पेश नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सरकार ने 31 मार्च, 2024 तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) जमा नहीं किए.
वित्त वर्ष 2023-24 को कवर करने वाली इस रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद 9,205.76 करोड़ रुपये के विस्तृत आकस्मिक (DC) बिल लंबित हैं, जिनमें से 7,120.02 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष के हैं. उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) जमा न करने से, जो यह पुष्टि करते हैं कि आवंटित धनराशि का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया है, सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं.
बिहार ने 2023-24 में 14.47फीसदी की मजबूत आर्थिक बढ़ोतरी दर्ज करना जारी रखा है, जो राष्ट्रीय औसत 9.6 फीसदी से काफी ज्यादा है. रिपोर्ट बताती है कि यह बढ़ोतरी बढ़ती देनदारियों के साथ आई है. राज्य का कुल कर्ज अब 3.98 लाख करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.34 फीसदी ज्यादा है, हालांकि, यह अभी भी मंजूर करने की रेंज के अंदर है. कैग ने बताया कि राज्य 15वें वित्त आयोग की तरफ से सुझाए गए राजकोषीय टारेगट्स को भी पूरा नहीं कर पाया.
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की अर्थव्यवस्था अभी भी मुख्यतः सेवा-आधारित है, जिसमें तृतीयक क्षेत्र सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में 57.06 फीसदी का योगदान देता है, उसके बाद प्राथमिक क्षेत्र (24.23 फीसदी) और द्वितीयक क्षेत्र (18.16 फीसदी) का स्थान आता है. इसके बावजूद अधिकांश आबादी अभी भी कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है.
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राजकोषीय मोर्चे पर राजस्व प्राप्तियों में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई-20,659 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी, जो केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 9.87 फीसदी की बढ़ोतरी और गैर-कर राजस्व में 25.14 फीसदी की तेज बढ़ोतरी की वजह से हुई. फिर भी बजट क्रियान्वयन एक चिंता का विषय बना रहा. 2023-24 के बजट में आवंटित 3.26 लाख करोड़ रुपये में से केवल 2.6 लाख करोड़ रुपए (79.92 फीसदी) ही वास्तव में खर्च किए गए. 65,512 करोड़ रुपए की कैरी ओवर का केवल 36.44 फीसदी ही वापस लाया गया, जो बजटीय योजना और कार्यान्वयन में लगातार खामियों को दर्शाता है. प्रतिबद्ध व्यय, जिसमें वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान शामिल हैं. 8.86 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ता रहा, जो 2023-24 में 70,282 करोड़ रुपये तक पहुच गया.
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