Waqf Board Amendment Bill: न पेपर और न गवाह, सरकार के नाक के नीचे वक्फ बोर्ड ने फतुहा के गांव पर ठोक दिया था दावा
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Waqf Board Amendment Bill: न पेपर और न गवाह, सरकार के नाक के नीचे वक्फ बोर्ड ने फतुहा के गांव पर ठोक दिया था दावा

Waqf Board Amendment Bill: वक्फ बोर्ड को लेकर जो संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश होने जा रहा है, उसके पीछे इसी संस्था की संपत्ति हड़पने वाली नीति जिम्मेदार रही है. पिछले दिनों तो राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को भी वक्फ की संपत्ति बताई जा रही थी.

 

Waqf Board Amendment Bill: न पेपर और न गवाह, सरकार के नाक के नीचे वक्फ बोर्ड ने फतुहा के गांव पर ठोक दिया था दावा (File Photo)
Waqf Board Amendment Bill: न पेपर और न गवाह, सरकार के नाक के नीचे वक्फ बोर्ड ने फतुहा के गांव पर ठोक दिया था दावा (File Photo)

Waqf Board Amendment Bill: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में आर पार की रार छिड़ी हुई है. विपक्ष जहां बिल को अलोकतांत्रिक बताते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकार क्षेत्र में दखल बता रहा है, वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि कोई कानून संविधान से परे नहीं है और समय आने पर किसी भी कानून में संशोधन किया जा सकता है. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की बात हो रही है तो आपको पटना से सटे फतुहा की याद दिला देते हैं, जहां गोविंदपुर नाम के गांव पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया था. घटना पिछले साल यानी अगस्त 2024 की है.

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वक्फ बोर्ड ने ग्रामीणों को गांव खाली करने का नोटिस दिया था. इसके बाद से ग्रामीण परेशान हो गए. ग्रामीणों का कहना था कि गांव मकें 95 प्रतिशत हिंदू आबादी है, जो कई पीढ़ियों से यहां निवास कर रही है. उनके पास जमीन के कागजात भी हैं. फिर भी वक्फ बोर्ड ने अचानक से जमीन पर दावा ठोक दिया.

वक्फ बोर्ड ने जो नोटिस भेजा था, उसमें 30 दिनों में गांव को खाली करने का फरमान सुनाया गया था. ग्रामीणों को मिले नोटिस में जमीन को कब्रिस्तान की जमीन बताया गया था. दूसरी ओर, ग्रामीणों के पास मौजूद दस्तावेज बयां करते हैं कि वे वहां के स्थायी और पुश्तैनी निवासी हैं और दादा परदादा के जमाने से वे ही जमीन के मालिक हैं. 

ग्रामीणों ने उल्टा वक्फ बोर्ड से जमीन का पेपर दिखाने को कहा था. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि वक्फ बोर्ड जबरदस्ती उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है.

दरअसल, वक्फ बोर्ड का दावा था कि खाता संख्या 217 पर स्थित कई घर उसकी जमीन पर बने हैं और यह जमीन 1959 में वक्फ के नाम रजिस्ट्री की गई थी. हालांकि वक्फ बोर्ड ने यह नहीं बताया था कि जमीन दान किसने की है. ग्रामीणों ने सूचना का अधिकार के जरिए सूचना मांगी तो उसमें जमीन दान करने वाले व्यक्ति का नाम नहीं था.

भाजपा सांसद और वक्फ बोर्ड पर बनी जेपीसी के सदस्य डॉ. संजय जायसवाल का कहना था कि सरकारी जमीन अपने नाम करवाने में असमर्थ होने पर वक्फ ने गोविंदपुर गांव की जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी थी. संजय जायसवाल फतुहा के गोविंदपुर गांव पहुंचे थे और ग्रामीणों से इस मसले पर चर्चा भी की थी.

संजय जायसवाल ने कहा, जिस संपत्ति की बात हो रही है, वह 1910 में हिंदुओं के नाम से अंकित है. खतियान में भी यह हिंदुओं की जमीन है. उसे वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई है. उन्होंने कहा कि सुन्नी बोर्ड के जिम्मेदार लोग इसमें शामिल हैं. वार्ड कमिश्नर के चुनाव हारने पर ऐसे तिकड़म आजमाए जा रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार से अपील की ​थी कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर जेल भेजा जाना चाहिए. 

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डॉ. जायसवाल बोले, कई लोगों को तो यह भी पता नहीं कि उनकी संपत्ति वक्फ में डाल दी गई है. किसी की संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने के लिए जमीन मालिक को पता होना चाहिए.

डॉ. संजय जायसवाल ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड की यह कार्रवाई अवैध है और जमीन को किसी भी हालत में वक्फ को नहीं दिया जाएगा. उन्होंने इस मामले को केस स्टडी के रूप में जेपीसी में पेश करने की बात कही थी.

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