Bihar Chunav 2025: चिराग पासवान विधानसभा चुनाव 2020 और लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी पार्टी के प्रदर्शन को आधार बनाकर सीटों का सौदा करेंगे. विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा (रामविलास) के प्रदर्शन की जैसे ही बात होगी, वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जख्मों को कुरेदने के बराबर होगा.
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Bihar Chunav 2025: लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान इस समय मुखर हैं. उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की बातें हो रही हैं. आरा की रैली में उन्होंने बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की बात कही थी. अब खबर आ रही है कि एनडीए के भीतर वे 70 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं और 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए अति गंभीर हैं. पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के दम पर वह यह दावा ठोक रहे हैं. यह अलग बात है कि एनडीए में भाजपा और जेडीयू उनके लिए कितनी सीटें छोड़ती हैं, लेकिन चिराग पासवान की कोशिश इतनी है कि वह इतनी सीटों पर चुनाव लड़ें कि बिहार में किंगमेकर की भूमिका में आ सकें. ऐसा करने के लिए चिराग पासवान क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जख्मों को और कुरेदेंगे या फिर उन पर मरहम लगाने का काम करेंगे, यह देखना बाकी है.
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2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग राह चलते हुए चिराग पासवान ने बिहार की 137 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे. इनमें से ज्यादातर प्रत्याशी जेडीयू कोटे की सीटों पर उतारे गए थे. चुनाव में लोजपा (रामविलास) का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा था और केवल एक प्रत्याशी ने ही जीत हासिल की थी. हालांकि इनमें से 33 सीटों पर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने जेडीयू को सीधा नुकसान पहुंचाया था. आंकड़ों को देखें तो 28 सीटें ऐसी रही थीं, जहां जेडीयू प्रत्याशी की हार के अंतर से अधिक वोट लोजपा प्रत्याशी को मिले थे. 5 सीटों पर तो लोजपा (रामविलास) के प्रत्याशियों ने जेडीयू प्रत्याशियों को तीसरे नंबर पर ढकेल दिया था.
अगर तक लोजपा (रामविलास) ने जेडीयू को नुकसान नहीं पहुंचाया होता तो जेडीयू भी भाजपा के बराबर सीटें हासिल कर सकती थी. ऐसे में एनडीए की डंके की चोट पर भारी बहुमत से सरकार बनती और तब भाजपा बड़े भाई की भूमिका में भी नहीं आ पाती. जाहिर है, जब जेडीयू की सीटें बढ़तीं तो राजद, कांग्रेस और वामदलों की सीटें कम हो जातीं. अब चिराग पासवान उसी प्रदर्शन के दम पर भाजपा और जेडीयू से सीटों की डील करने वाले हैं. जो जख्म उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी को दिए, उन्हीं जख्मों को वे भुनाने वाले हैं. जाहिर है, जेडीयू का दर्द बढ़ेगा. हालांकि कम सीटें हों या ज्यादा सीटें, चिराग पासवान को एडजस्ट तो करना ही पड़ेगा, नहीं तो वे पहले से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में आ चुके हैं.
ऐसे में यह जान लेते हैं कि एनडीए में किस तरह की सीट शेयरिंग हो सकती है. 2 फॉर्मूले अभी तक सामने आ रहे हैं. पहला, भाजपा और जेडीयू 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ें और बाकी बचीं 43 सीटों में से 30 सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दे दी जाएं. फिर बचीं 13 सीटों में से 7 सीटें जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और 6 सीटें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दे दी जाए. दूसरा, भाजपा और जेडीयू दोनों 102-102 सीटों पर चुनाव लड़ें और बाकी बचीं 39 सीटों को चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा में बांट दी जाए. चिराग पासवान को 28, जीतनराम मांझी को 6 और उपेंद्र कुशवाहा को 5 सीटें चुनाव लड़ने के लिए दी जाए.
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यह तभी संभव होगा, जब चिराग पासवान 30 या 30 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हो जाएं. ऐसा लगता नहीं है कि चिराग पासवान 30 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हों. ऐसे में कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए. हालांकि एनडीए में रहकर चिराग पासवान के लिए फ्रेंडली फाइट करना आसान नहीं होगा. और अगर ऐसा होता है तो फिर नुकसान जेडीयू के हिस्से में आएगा. अब यह देखना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए परेशानी खड़ी करने वाले चिराग पासवान इस बार उनके लिए मरहम लगाएंगे या फिर उनके जख्मों को और कुरेदेंगे.