Chirag Paswan Bihar Chunav 2025: चिराग पासवान भले ही खुद को पीएम मोदी का हनुमान मानते हैं, लेकिन इस बात से वे भी इनकार नहीं कर सकते कि वे अपनी राजनीति का फोकस बिहार पर बनाए रखना चाहते हैं और इसके लिए वे कुछ भी कर सकते हैं.
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Chirag Paswan Bihar Chunav 2025: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सर्वेसर्वा चिराग पासवान बिहार के विधानसभा चुनाव में उतरने जा रहे हैं. चिराग पासवान के इस फैसले को लेकर बिहार की सियासत में चुस्कियों से ज्यादा चटखारे लिए जा रहे हैं. चिराग पासवान का यह फैसला न केवल एनडीए, बल्कि विरोधी इंडिया ब्लॉक के नेताओं के लिए भी मुश्किल भरा हो सकता है. अब सवाल उठता है कि चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया, जबकि वे मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की हैसियत से काम कर रहे हैं? दरअसल, चिराग पासवान खुद के लिए बिहार में बड़ी संभावना की खोज में जुटे हैं. वे ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहते, जो उनके पिताजी स्व. रामविलास पासवान ने लिया था.
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रामविलास पासवान एक समय में दलितों के कद्दावर नेता माने जाते थे. बिहार में उनका अपना बड़ा जनाधार भी था, लेकिन उन्होंने बिहार से ज्यादा केंद्र की राजनीति पर फोकस बनाए रखा और अमूमन हर सरकार में मंत्री भी रहे. चाहे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की सरकार हो या फिर आईके गुजराल की. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या फिर मनमोहन सिंह की और उसके बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ही क्यों न हो. रामविलास पासवान 1996 से लगभग हर सरकार में मंत्री रहे थे. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा खेला कर दिया था. रामविलास पासवान के आधार वोट बैंक दलितों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्गीकरण कर दिया और महादलित के रूप में नई श्रेणी बना दी. इस तरह रामविलास पासवान केवल पासवानों के सबसे बड़ा नेता बनकर रह गए थे. आज भी चिराग पासवान की पार्टी का आधार वोट बैंक पासवान समाज के ही वोटर हैं.
अपने पिता रामविलास पासवान की तरह चिराग पासवान भी आज केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं. अगर वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो वे भी अपने पापा के रास्ते पर चलते प्रतीत होंगे. इसलिए अपने वोटरों को एकजुट रखने और बिहार की राजनीति पर फोकस बनाए रखने के लिए चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ये अलग सवाल है कि चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में मोदी सरकार में उनकी पार्टी की ओर से मंत्री कौन बन सकता है? अभी उनके चुनाव लड़ने के ऐलान से बिहार के सियासी दलों में बेचैनी बढ़ गई है. सबसे पहले तो तेजस्वी यादव को उनका प्रतियोगी मिल गया है. जिस तरह तेजस्वी यादव 2 बार बिहार के डिप्टी सीएम के रूप में खुद को स्थानीय राजनीति में स्थापित कर चुके हैं, उसी तरह चिराग पासवान भी स्थापित होने के फिराक में हैं. चिराग पासवान अगर विधायकी का चुनाव लड़ते हैं और अगर एनडीए की सरकार आती है तो जाहिर है कि वे डिप्टी सीएम पद के लिए दावा ठोकेंगे. अगर डिप्टी सीएम का पद नहीं मिलता है तो वे कोई और कदम भी उठा सकते हैं.
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बिहार के राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा चल रही है कि अगर बिहार में किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं मिला तो एक नया गठबंधन आकार ले सकता है. माना जा रहा है कि इस नए गठबंधन में कांग्रेस, लोजपा रामविलास और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी शामिल हो सकती है. हालांकि ये इस बात पर निर्भर करता है कि कौन दल कितनी सीटें लेकर आते हैं. चूंकि राजनीति संभावनाओं का खेल है तो किसी भी तरह के खेला से इनकार नहीं किया जा सकता. शायद यही कारण है कि जनता दल यूनाइटेड के नेता चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने से असहज महसूस कर रहे हैं और इस बाबत भाजपा आलाकमान से बात करने वाले हैं.