Bihar Politics: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड को लेकर प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 10-12 दिन पहले ही इशारा किया था कि बिहार की राजनीति में जल्दी ही भूकंप आने वाला है.
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Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बड़ी मुश्किलों में फंसते हुए दिख रहे हैं. उनकी मुसीबत का कारण वोटर लिस्ट के मतदाता सघन पुनरीक्षण (SIR) है. SIR प्रक्रिया के विरोध में तेजस्वी ने वो खुलासा कर दिया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था. दरअसल, तेजस्वी यादव ने मतदाता सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि वोटर लिस्ट से उनका नाम काट दिया गया है. इस दौरान तेजस्वी यादव ने एक एपिक नंबर दिखाया था. हालांकि, अगले ही कुछ घंटों में चुनाव आयोग ने नेता प्रतिपक्ष के दावे को झूठा साबित कर दिया. चुनाव आयोग ने जांच में पाया कि तेजस्वी के पास दो वोटर कार्ड हैं. इसके बाद बिहार की सियासत में भूचाल आ गया.
इस सियासी भूकंप के तार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जोड़े जा रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस्वी यादव ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली है. वह सीएम चेहरे के लिए राहुल गांधी का क्लियरेंस चाहते हैं और इसके लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे. बीजेपी और संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगाने की होड़ में तेजस्वी से इतनी बड़ी गलती हो गई. दूसरा कारण बिहार के मुस्लिम वोटरों को खुश करने की कोशिश बताया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस अब राजद के वोटबैंक में ही सेंधमारी की कोशिशों में जुटी है. तेजस्वी अपने कोर वोटर को साधने के लिए सेल्फ गोल कर बैठे. धारणा यह है कि मतदाता सत्यापन में सबसे ज्यादा नाम मुस्लिम समाज के कटे हैं. लिहाजा, इस मुद्दे पर तेजस्वी किसी भी कीमत पर कांग्रेस को माइलेज नहीं देना चाहते हैं.
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सियासी गलियारों में तो चर्चा यह भी है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी यह बात पहले से जानते थे. उन्होंने दो सप्ताह पहले ही इसका इशारा कर दिया था. SIR प्रक्रिया के विरोध में राहुल गांधी ने कहा था कि उनके पास ‘एटम बम’ जैसा सबूत है, जो ECI की कथित BJP के लिए मतदाता सूची में हेरफेर को उजागर करेगा. उनका कहना था कि 6 महीने की जांच में ‘पुख्ता सबूत’ मिले हैं, और 5 अगस्त को बेंगलुरु में इसका खुलासा होगा. ‘एटम बम’ वाले बयान से राहुल गांधी सियासी नैरेटिव सेट कर रहे थे. फिलहाल, राहुल गांधी तो चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर निकल लिए, लेकिन तेजस्वी यादव बुरे फंस गए.