Pushpam Priya Choudhary: चुनाव चाहे कहीं का भी हो, केवल लड़ना ही काबिलियत नहीं है. चुनाव लड़ते जनता को दिखना भी चाहिए. पुष्पम प्रिया चौधरी पिछले विधानसभा चुनाव में यही जनता को नहीं दिखा पाई थीं और बहुत संभव है कि इस बार भी वे ऐसा कुछ नहीं कर पाएंगी.
Trending Photos
Pushpam Priya Choudhary: 2020 के विधानसभा चुनाव में एक P फैक्टर था. P मतलब पुष्पम प्रिया चौधरी और उनकी प्लूरल्स पार्टी. देसी और ठेठ राजनीति के लिए पहचान बना चुके बिहार में लंदन से पढ़-लिखकर आई लड़की क्या कमाल दिखा पाएगी, इस पर विश्लेषकों की नजरें थीं. इतना तो अंदाजा था कि बिहार में जहां राजनीति जातियों के इर्द गिर्द घूमती है, वहां पुष्पम प्रिया चौधरी और उनकी प्लूरल्स पार्टी के लिए पैर जमाना आसान नहीं है. और हुआ भी ठीक वही. खुद 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही पुष्पम प्रिया चौधरी रुझानों में भी कहीं नजर नहीं आईं. दोनों सीटों पर वो अपनी जमानत गंवा बैठी थीं. 2020 का विधानसभा चुनाव पुष्पम प्रिया चौधरी मधुबनी जिले की बिस्फी और पटना के बांकीपुर से चुनाव लड़ रही थीं. पुष्पम प्रिया चौधरी की तरह 2025 के विधानसभा चुनाव में भी एक दूसरा P फैक्टर है. P मतलब प्रशांत किशोर. प्रशांत किशोर पिछले ढाई साल से पूरा बिहार नाप रहे हैं. छात्रों के समर्थन में आंदोलन और अनशन पर बैठे और अब जिला दर जिला छान रहे हैं. इसके बाद वो हर विधानसभा क्षेत्र का भी दौरा करने वाले हैं. जाहिर है पुष्पम प्रिया चौधरी को प्रशांत किशोर से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.
READ ALSO: बिहार चुनाव लड़ने के लिए तड़फड़ा रहे बाहरी राज्यों के ये दल, लिस्ट में AAP भी शामिल
बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 से केवल 3 महीना पहले अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर पुष्पम प्रिया चौधरी चर्चा में आई थीं और बिहार की राजनीति में व्यापक बदलाव का नारा बुलंद किया था. प्रशांत किशोर के समर्थकों की तरह उनके समर्थक भी उन्हें बिहार की मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाह रहे थे. पुष्पम प्रिया चौधरी ने कोई आंदोलन नहीं किया और न ही कोई अनशन, सीधे चुनाव में कुद गई थीं. लंदन से पढ़ाई और अपने आकर्षक चेहरे के बल पर उन्होंने युवाओं से अपील की और अपनी पार्टी को युवा केंद्रित ही बनाया. फेसबुक और ट्विटर (अब X) पर फॉलोवर्स बढ़ाने पर फोकस होता रहा. युवाओं के मुद्दे उठाए गए. हालांकि जब मतदान हुआ, तब युवाओं का वोट भी पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी को मिलता नहीं दिखा.
बिहार विधानसभा की 243 में से पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लूरल्स पार्टी 2020 में केवल 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी से कोई भी ऐसा प्रत्याशी नहीं था, जिसका राजनीतिक बैकग्राउंड था. केवल यूथ प्रोफेशनल्स को उन्होंने टारगेट किया था. नतीजा यह हुआ कि खुद उन्हें बिस्फी विधानसभा क्षेत्र में केवल 1509 वोट हासिल हुए थे. बांकीपुर में हालांकि उन्हें 5176 वोट मिले थे. जब नतीजे आए, तब उन्होंने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए और खुद की हार को बिहार की हार से जोड़ दिया था.
अब पुष्पम प्रिया चौधरी के सामने एक उदाहरण हैं- प्रशांत किशोर. प्रशांत किशोर ने सबसे पहले दो साल तो बिहार में पदयात्रा की. हर एक जिले में गए. कई गांवों में जाकर स्थानीय लोगों से मिले. उनके मुद्दों को परखा, जिनका इस्तेमाल आज वे अपने संबोधनों में करते हैं. समस्याएं जानीं और उनके समाधान के उपाय भी बताते आ रहे हैं. आज पसीने से लथपथ उनकी तस्वीरें एक अपील करती हैं. वोट कितने मिलेंगे, सफलता कितनी हासिल होगी, लेकिन आपकी मेहनत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए.
READ ALSO: नीतीश के 'जख्मों की कीमत' पर सीटों का सौदा करेंगे चिराग, क्या जेडीयू को गंवारा होगा?
प्रशांत किशोर जानते हैं कि अगर आपने एक भी चूक कर दी तो फिर 5 साल आपको पछताने के लिए मिलेंगे, जो अंदर से तोड़ देते हैं. आज प्रशांत किशोर को देखने और सुनने के लिए लोग उमड़ रहे हैं. उनकी रात्रि सभाओं में भी ठीक ठाक भीड़ आ रही है. इतनी भीड़ कि प्रशांत किशोर को उनके बीच से निकलने में आधे घंटे तक लग जा रहे हैं. फिर भी प्रशांत किशोर खुश नहीं दिखते. उनमें एक भूख है- जीत की भूख. उस भूख को मिटाए बिना वे शांत नहीं रहेंगे. चलते रहेंगे, मेहनत करते रहेंगे. तब तक मेहनत करेंगे, जब तक उसका मीठा फल न उनको मिल जाए. पुष्पम प्रिया चौधरी को दूसरे P से यही सीखने की जरूरत है. हालांकि इस चुनाव में भी पुष्पम प्रिया चौधरी बहुत सक्रिय नहीं दिख रही हैं. बस चुनाव लड़ेंगी.