Bihar Congress News: कांग्रेस आलाकमान बिहार में पार्टी की सेहत को सुधारने की कवायद में जुटा हुआ है तो प्रदेश ईकाई के नेता फूफा बनकर बैठ गए हैं. कन्हैया कुमार अगर कांग्रेस की ओर से कोई यात्रा शुरू करते हैं तो इसका लाभ तो पार्टी को ही होने वाला है पर प्रदेश ईकाई के नेता केवल अपना फायदा देख रहे हैं.
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Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारी तेज हो गई है. इसी कड़ी में कांग्रेस की ओर से कन्हैया कुमार ने बिहार में कैंपिंग शुरू कर दी है. पिछले कई दिनों से कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने में जुटे हुए हैं. अब खबर है कि कन्हैया कुमार भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर बिहार में 'नौकरी दो यात्रा' निकालने जा रहे हैं. उनकी यात्रा 16 मार्च से शुरू होकर 14 अप्रैल को खत्म हो सकती है. खबर तो यह भी आ रही है कि उनकी यात्रा से लालू परिवार को छोड़िए, कांग्रेस का भी एक खेमा नाराज हो गया है. बिहार कांग्रेस नेतृत्व इस बात से खफा है कि कन्हैया कुमार की यात्रा को लेकर उन्हें जानकारी मीडिया से मिली और उनसे कोई राय नहीं ली गई. अभी तक कांग्रेस के सामने दुविधा इस बात की थी कि कहीं कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में उतारने से लालू परिवार खफा हो सकता है, लेकिन अब तो पार्टी के अंदर ही नाराजगी पैदा होने लगी है.
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अभी बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह लालू परिवार के नजदीकी माने जाते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि उन्हें बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के कहने पर ही बनाया गया है. दूसरी ओर, लालू परिवार तेजस्वी यादव के हमउम्र नेताओं को बिहार से बाहर रखने पर जोर देता रहा है. इसलिए लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट से चुनाव न लड़कर उत्तर पूर्वी दिल्ली से मैदान में उतरे थे और मनोज तिवारी के हाथों मात खा गए थे.
लालू प्रसाद यादव को इस बात का डर रहता है कि कन्हैया कुमार पढ़े लिखे हैं और प्रखर वक्ता हैं. जेएनयू से पढ़ाई लिखाई होने के कारण वे अपनी वाणी से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. दूसरी ओर, तेजस्वी यादव उतना पढ़े लिखे नहीं हैं. हालांकि वे भी अच्छे वक्ता हैं. फिर भी लालू प्रसाद यादव बेटे के राजनीतिक भविष्य को लेकर फिक्रमंद रहते हैं. कन्हैया कुमार की यात्रा को लेकर अभी राजद की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन उससे पहले कांग्रेस के अंदर ही नाराजगी की खबरें आने लगी हैं.
बता दें कि कन्हैया कुमार की यात्रा पश्चिम चंपारण के भितिहरवा आश्रम से शुरू हो सकती है और पटना तक जाएगी. उनकी यात्रा 500 किलोमीटर तक की होगी. 20 जिलों से गुजरने वाली उनकी यात्रा के दौरान रोजगार, पेपरलीक और पलायन जैसे मुद्दे को उठाने की तैयारी है. इस दौरान कन्हैया कुमार करीब 100 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेंगे.
कांग्रेस के लिए परेशानी की बात यह है कि जिन कन्हैया कुमार को आलाकमान ने खेवनहार के रूप में बिहार में तैनात किया है, उन्हीं की यात्रा को लेकर बिहार कांग्रेस में घमासान मच सकता है. बिहार कांग्रेस नेतृत्व इस यात्रा को लेकर अनभिज्ञता जता रहा है और यह भी कहा है कि यात्रा को लेकर प्रदेश नेतृत्व से राय नहीं ली गई. माना जा रहा है कि इससे प्रदेश ईकाई के कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और उनकी टीम से नाराज हैं.
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एक खबर यह भी आ रही है कि 12 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी बिहार कांग्रेस की तैयारियों की समीक्षा करने वाले थे, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है. इसे कांग्रेस के भीतर कन्हैया कुमार के समर्थन और विरोध से जोड़कर देखा जा रहा है. पहले आलाकमान की समीक्षा बैठक पहले हफ्ते में ही होने वाली थी पर इसे 12 मार्च तक बढ़ा दिया गया था. अब 12 मार्च की बैठक को भी आगे के लिए टाल दिया गया है.