Bihar Politics: बीजेपी के साथ लंबे गठबंधन के बावजूद नीतीश कुमार ने अपने सेक्युलर छवि से समझौता नहीं किया. चुनाव से पहले वे मुस्लिम समाज से संवाद कर भरोसा बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. विपक्ष इसे दिखावा बता रहा है, जबकि जेडीयू अल्पसंख्यकों के हित में किए गए कार्यों का हवाला दे रही है.
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Bihar Politics: बीजेपी के साथ डेढ़ दशक तक सरकार चलाने के वावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी अपने सेक्युलर क्रेडेंशियल के साथ समझौता नहीं किया. महागठबंधन के द्वारा इसबार अल्पसंख्यक वोटरों की गोलबंदी के दावे के वावजूद उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक का मोह नहीं छोड़ा है. अब इसको लेकर राजनीति में शुरू हो गई है.
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जेडयू के एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि JDU और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार अकलियतों से बात कर रहे हैं बिहार शहर जिलों में एक मुहीम चलाया गया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यों के बारे में बताया गया पार्टी में काम करके दिया राजद ने मुसलमान को सिर्फ धोखा दिया है और डराने का काम किया है उनके पास कोई ऐसी बात नहीं है बताने के लिए पास वही कहते हैं कि बीजेपी मुसलमान की हितैसी नहीं है वह मस्जिदों को दरगाहों को और कब्रिस्तानों को ले लेगी विपक्ष भाजपा का नाम लेकर अल्पसंख्यकों को डराने का काम करता है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के लिए हमेशा काम करते हैं.
वहीं आरजेडी (RJD) के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यकों के साथ मुख्यमंत्री संवाद करके बरगलाना चाहते हैं लेकिन अकलियत समाज अच्छी तरह से जानता है वक्फ संशोधन विधेयक में भारतीय जनता पार्टी के साथ जेडयू खड़ा रहा CAA या तीन तलाक का मामला हो चाहे अकलियतों के हक और अधिकार को छीनने का काम किया है. जेडीयू दोहरी राजनीतिक किया है. भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े होकर जो असलियत के खिलाफ कानून होते हैं, उसको पास करने में भारतीय जनता पार्टी का सहायता करते हैं, बाद में अकलियत संवाद करके घड़यली आंसू बहाना चाहते हैं बिहार में RSS और बीजेपी को आगे बढ़ने का काम जेडीयू ने किया.
बीजेपी के प्रवक्ता दानिश इकबाल ने कहा कि नीतीश कुमार के विकास नीति बिहार में जो बदला हुआ है. उसमें सभी समाज के लोग प्रभावित हुए हैं सभी समाज के लोगों के जीवन में बदलाव आया है, जहां तक मुसलमान का सवाल है निश्चित तौर पर नीतीश कुमार ने काम किया नीतीश कुमार की कई ऐसी योजनाएं हैं. जिससे अल्पसंख्यक समाज को मदद मिला है सहयोग मिला है. नीतीश कुमार ने सभी समाज को लेकर चलने का काम किया है.
कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि चुनाव का वक्त है और नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के साथ संवाद करेंगे पहले यह बताएं कि अल्पसंख्यकों के लिए 20 साल में क्या किया वक्फ बिल आया, तो आप बीजेपी और आरएसएस के साथ हो गये, इसलिए अल्पसंख्यक समाज ने आपके इफ्तार को इनकार किया था.
बिहार में मुसलमानों की आबादी करीब 17.7% है. 2023 की जाति-जनगणना के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी लगभग 13 करोड़ है. जिसमें करीब 2 करोड़ 30 लाख मुसलमान हैं. करीब 87 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. सीमांचल के किशनगंज में 68%, कटिहार में 43%, अररिया में 42% और पूर्णिया में 38% आबादी मुस्लिम है. इतनी बड़ी संख्या होने की वजह से हर चुनाव में मुस्लिम वोटर किंगमेकर की भूमिका में होते हैं, हालांकि वे हमेशा एक ही पार्टी को वोट नहीं देते, लेकिन पिछले कई चुनावों में उनका बड़ा हिस्सा महागठबंधन RJD, कांग्रेस के साथ चला गया.
AIMIM और NDA ने भी खासकर सीमांचल और पसमांदा मुसलमानों के बीच पकड़ बनाने की कोशिश की, जिसकी वजह से कुछ सीटों पर वोट बंटा और RJD को नुकसान हुआ. 2020 के बाद JDU के मुस्लिम वोटरों में समर्थन घटा है. खासकर वक्फ कानून को लेकर नाराज़गी और पार्टी में हुए बदलाव की वजह से फिर भी, नीतीश कुमार का रिकॉर्ड मुस्लिम समाज से जुड़े फैसलों, जैसे कब्रिस्तान की घेराबंदी, छात्रवृत्ति, आरक्षण और अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं में मजबूत रहा है. जब JDU का गठबंधन RJD से रहा, तब मुस्लिम वोटर उनके साथ आए, लेकिन NDA के साथ जाने पर दूरी बढ़ी. अब नीतीश कुमार मुस्लिम नेताओं को आगे ला रहे हैं और अल्पसंख्यक संवाद जैसे कार्यक्रमों से भरोसा बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं.
इनपुट- रूपेंद्र श्रीवास्तव
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