Chirag Paswan LJPR: इसमें कोई दोराय नहीं कि चिराग पासवान अपने पारिवारिक झंझावातों से टक्कर लेते हुए बिहार की राजनीति में उभरे हैं. उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट भी लोकसभा चुनाव में 100 प्रतिशत रहा, लेकिन असल परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होनी है.
Trending Photos
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव अब करीब आता जा रहा है. राजनीतिक दलों की पैंतरेबाजी भी शुरू हो चुकी है. कमर कसी जा रही है. मुद्दे गढ़े जा रहे हैं. सामने कुछ और परदे के पीछे कुछ और हो रहा है. वैसे तो चिराग पासवान एनडीए के अहम पार्टनर हैं, लेकिन वे यदा कदा भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए मुसीबत खड़ी करते नजर आते हैं. बिहार में एनडीए के दलों में आम सहमति है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा और चिराग पासवान भी इसमें हां में हां मिलाते नजर आते हैं पर वे जो कर रहे हैं, वो एनडीए के घटक दलों खासतौर से जेडीयू और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को पच नहीं रहा है. शुक्रवार को हुई लोजपा कार्यकारिणी की बैठक को ही लीजिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ में चिराग पासवान 'बहुजन भीम संकल्प समागम' करने जा रहे हैं. उनकी पार्टी उनको अगला मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है और वे खुद सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चिराग पासवान एनडीए के लिए परेशानी तो नहीं खड़ी कर रहे? क्या वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ 2020 के चुनाव की तरह कोई मोर्चेबंदी तो नहीं करने वाले हैं.
READ ALSO: चिराग को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर लोजपा रामविलास ने कर दिया बड़ा धमाका
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया था. एनडीए से अलग जाकर चिराग पासवान ने बिहार की 137 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े किए थे. हालांकि उनकी पार्टी केवल एक सीट पर सिमट गई थी, लेकिन उनकी मोर्चेबंदी के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को खासा नुकसान हुआ था और वह 43 सीटों पर निपटकर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. राज्य में तब राजद नंबर 1 और भाजपा नंबर 2 की पार्टी बनी थी.
हालांकि इस बार चिराग पासवान ने 2020 के विधानसभा चुनाव की तरह कोई ताल नहीं ठोकी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ने को लेकर अपनी सहमति जताई है पर बीच बीच में उनकी पैंतरेबाजी से जेडीयू परेशान हो जाती है. जेडीयू अभी नहीं चाहती कि उनके नेता नीतीश कुमार के समानांतर कोई चेहरा एनडीए में पैदा हो, लेकिन लोजपा रामविलास कभी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करके और चिराग पासवान को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखने का संकल्प जाहिर कर जेडीयू के अरमानों पर पानी फेर देती है.
दरअसल, लोजपा रामविलास भाजपा के कोटे से एनडीए में स्थापित हुई है. इसलिए चिराग पासवान की पार्टी की तरफ से कोई भी असहज स्थिति उत्पन्न किए जाने पर जेडीयू नेता भाजपा आलाकमान से संपर्क करते हैं. भाजपा भी बिहार में चेक एंड बैलेंस बनाए रखने के लिए अंदरखाने चिराग पासवान को फ्यूल देती रहती है. ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि चिराग पासवान पीएम मोदी को अपना भगवान और खुद को उनका हनुमान घोषित कर चुके हैं.
READ ALSO: घर-पार्टी से निकाले जाने के बाद भोले के दरबार में पहुंचे तेज प्रताप
सबसे बड़ी समस्या तो चिराग पासवान के नालंदा में 'बहुजन भीम संकल्प समागम' का आयोजन किए जाने से होने वाली है. नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और जनता दल यूनाइटेड का गढ़ भी है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि चिराग पासवान नालंदा में दलितों की बड़ी रैली करने वाले हैं. बिहार में दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोजपा रामविलास की ओर से जाने से रोक दिया है और उनके वोटों की धार को अपनी ओर मोड़ दिया है. चिराग पासवान उन्हीं दलित वोटों को गोलबंद करने की कोशिश करते दिखाई पड़ते हैं.
हालांकि, चिराग पासवान के लिए यह राह इतना आसान नहीं है. जब चुनाव की बारी आती है तब चिराग पासवान पार्टी कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर अपने रिश्तेदारों या फिर दबंग छवि वाले नेताओं को देते हैं. तब उन्हें दलितों की याद नहीं आती है. लोजपा कार्यकारिणी की बैठक में पास किए गए प्रस्तावों को लेकर विपक्ष ने भी चिराग पासवान पर यही आरोप लगाया है. ये आरोप सही भी हैं. चुनाव के कुछ महीने पहले से चिराग पासवान को दलितों की याद आती है और चुनाव के मौके पर वे नाते रिश्तेदारों में टिकट का लॉलीपॉप पकड़ा देते हैं. लोजपा रामविलास के कार्यकर्ताओं को केवल झंडा उठाने की जिम्मेदारी मिलती है.
चिराग पासवान कई मौकों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार और बिहार भाजपा को असहज करते रहे हैं. गर्दनीबाग में जब बीपीएससी की परीक्षा रद्द किए जाने को लेकर आंदोलन चल रहा था, तब चिराग पासवान ने सरकार और भाजपा के दावों के उलट लाइन ली थी और परीक्षा रद्द करने की मांग का पूर्ण समर्थन किया था. इसके अलावा मुजफ्फरपुर रेप केस में भी चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. ऐसे कई मौकों पर चिराग पासवान अपनी सरकार से ज्यादा तेजस्वी यादव के आरोपों का समर्थन करते दिखे हैं.
READ ALSO: बेटे को राजगद्दी दिलाने के लिए मगरमच्छ की तरह मुंह बाए खड़े हैं, लालू- गिरिराज सिंह
चिराग पासवान भले ही पीएम मोदी को भगवान और खुद को उनका हनुमान जाहिर करते रहे हों, पर उनकी राजनीति से भाजपा नेताओं को भी कई बार बगलें झांकने पर मजबूर होना पड़ता है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान कुछ तो खिचड़ी पका रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि चिराग पासवान के तेजस्वी यादव से भी अच्छे रिश्ते हैं और प्रशांत किशोर से भी. वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं और लोजपा रामविलास की ओर से सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे भी कर रहे हैं. अब आप ही इसका निहितार्थ निकालिए.