जिंदा छोड़ो यहां तो मौत के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस, आदिवासी बेटी की लाश को 10 किमी ढोया
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जिंदा छोड़ो यहां तो मौत के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस, आदिवासी बेटी की लाश को 10 किमी ढोया

Jharkhand News: आदिम पहाड़िया जनजाति की बीमार युवती बदरिन पहाड़िन को परिजन 10 किलोमीटर खाट पर लादकर इलाज के लिए सदर अस्पताल लाए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

लाश को 10 किमी ढोया
लाश को 10 किमी ढोया

साहिबगंज: झारखंड की बदहाल और असंवेदनशील स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत एक बार फिर बेपर्दा हुई है. साहिबगंज जिले में आदिम 'पहाड़िया जनजाति' समुदाय की बीमार युवती बदरिन पहाड़िन को परिजन खाट पर लादकर इलाज के लिए 10 किलोमीटर पैदल चलकर सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

इसके बाद उसके शव को घर ले जाने के लिए भी अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिली. मजबूरन परिजनों को शव को उसी खाट पर रखकर वापस 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. मृत युवती मंडरो प्रखंड के लोदोनी पहाड़ निवासी गजरा पहाड़िया की पुत्री थी. बुधवार को इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद राज्य के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी पर निशाना साधते हुए उन्हें “सरकार और जनता पर बोझ” करार दिया है. मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स पर किए गए पोस्ट में आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य मंत्री ने एंबुलेंस संचालन की जिम्मेदारी अपने करीबी को सौंप दी है और उनके नाबालिग बेटे तक सरकारी अस्पतालों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं. उन्होंने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के साथ अन्याय बताया.

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मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और एंबुलेंस सेवाओं की तत्काल समीक्षा होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. उन्होंने मुख्यमंत्री से सख्त और प्रभावी दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की ताकि जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना न पड़े. मरांडी ने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि वह बयानबाजी छोड़कर ठोस कदम उठाए, ताकि आम जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना न पड़े. झारखंड के कई इलाकों से खाट, साइकिल और ठेले पर मरीज ले जाने की तस्वीरें पहले भी आती रही हैं.

इनपुट- आईएएनएस

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