Chinar Book Fair: बहुप्रतीक्षित चिनार पुस्तक महोत्सव के दूसरे संस्करण का आगाज हो गया है, जिससे कश्मीर की साहित्यिक धड़कनें फिर से धड़कने लगी हैं.
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Chinar Book Fair: बहुप्रतीक्षित चिनार पुस्तक महोत्सव के दूसरे संस्करण का आगाज हो गया है, जिससे कश्मीर की साहित्यिक धड़कनें फिर से धड़कने लगी हैं. धूप में सराबोर एसकेआईसीसी के लॉन में आयोजित 9 दिवसीय बुक फेयर में बड़ी संख्या में लोग इसके उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. इस बार चिनार बुक फेयर में 200 से अधिक प्रकाशक, विभिन्न भारतीय भाषाओं में अपनी पुस्तकें लेकर शामिल हुए हैं. चिनार बुक फेस्टिवल सिर्फ एक पुस्तक मेला नहीं, बल्कि विचारों, स्मृतियों और लिखे हुए शब्दों का उत्सव है.
चिनार पुस्तक महोत्सव के दूसरे संस्करण का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया. इस अवसर पर उनके साथ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी उपस्थित रहे. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे, इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के अध्यक्ष प्रो राघवेंद्र तंवर, कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय बिधुरी, एनबीटी के डायरेक्टर युवराज मलिक, नेशनल काउंसिल फोर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज के डायरेक्टर डॉ मो. शम्स इकबाल और चिनार पुस्तक महोत्सव के मुख्य संयोजक डॉ अमित वांचू भी कार्यक्रम में मंच पर मौजूद रहे.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का सुझाव
उद्घाटन भाष में में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मौजूदा समय में विचारों के निर्माण में किताबों और शिक्षा की परिवर्तनकारी भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने हमारी बौद्धिक संपदा की पुनर्खेज और मौजूदा समय के अकादमिक विचारों के साथ उनके समावेशन में किताबों, शिक्षा और ज्ञान के महत्व पर जोर दिया. साथ ही इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का भी उल्लेख किया. उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को चिनार पुस्तक महोत्सव को राज्य का एक स्थायी साहित्यिक आयोजन बनाने की भी सलाह दी. उन्होंने सुझाव दिया गया कश्मीर के साथ-साथ जम्मू में भी प्रति वर्ष इसे आयोजित किया जाना चाहिए. उन्होंने भरोसा जताया कि यह प्रयास जम्मू-कश्मीर में एनबीटी-लाइब्रेरी और पठन-पाठन एक आंदोलन का रूप लेगा, जो पूरे जम्मू-कश्मीर में पुस्तकों, साहित्य, भाषा और संस्कृति को शामिल करेगा. उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ओर से शुरु किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-पुस्तकालय की भी सराहना की, जहां पर पाठक विविध भाषाओं की हजारों पुस्तकों को निशुल्क पढ़ सकते हैं.
किताबें सोच के साथ विवेक और जागरूकता भी करती हैं उत्पन्न
चिनार पुस्तक महोत्सव की गहन प्रशंसा करते हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल माननीय मनोज सिन्हा ने युवा पीढ़ी को भारत की प्राचीन बौद्धिक संपदा, संस्कृति और वैज्ञानिक धरोहर से जोड़ने को सराहा. उन्होंने बताया कि वैश्विक ज्ञान परंपरा में भारत की उल्लेखनीय उपस्थिति रही है, जिसमें कश्मीर का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के पुनरुद्धार और उन्हें मुख्यधारा की अकादमिक चर्चाओं में शामिल करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि पुस्तकें न केवल सोच विकसित करती हैं, बल्कि युवाओं में विवेक और जागरूकता भी उत्पन्न करती हैं.
पाठकों और पुस्तकों को जोड़ने का प्रयास सराहनीय...
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष प्रो. मिलिंद मराठे ने स्वागत भाषण में कहा कि ऐसे समावेशी पुस्तक मेलों से पाठकों और पुस्तकों को जोड़ने का प्रयास सराहनीय है. उन्होंने पूरे भारत में पठन संस्कृति को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संकल्प को दोहराया. प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने चिनार जैसे साहित्यिक आयोजनों को ऐतिहासिक विमर्शों के पुनरुद्धार और अकादमिक संवादों के लिए जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की बौद्धिक परंपराओं को भारत के ऐतिहासिक विमर्श का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
कश्मीर के लोगों में अपार जिज्ञासा और ज्ञान की भूख...
एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने कहा कि चिनार बुक फेस्टिवल के पहले संस्करण की सफलता कश्मीर के लोगों की अपार जिज्ञासा और ज्ञान की भूख का प्रमाण है. उन्होंने बताया कि इस उत्सव की वापसी साहित्यिक गतिविधियों के प्रति क्षेत्र में बढ़ते उत्साह को दर्शाती है. इस अवसर पर एनबीटी द्वारा प्रकाशित 'जम्मू, कश्मीर और लद्दाख द एजेस' पुस्तक के कश्मीरी अनुवाद का वीडियो प्रस्तुत किया गया और फिर औपचारिक विमोचन हुआ. यह स्थानीय भाषा में क्षेत्रीय इतिहास को सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. माननीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय ई पुस्तकालय द्वारा आयोजित बाल कहानी लेखन प्रतियोगिता अमृतकाल के परिणामों की डिजिटल घोषणा भी की.
महोत्सव के पहले दिन का एक प्रमुख आकर्षण 'शारदा लिपि पर पहली राष्ट्रीय प्रदर्शनी' का उद्घाटन रहा. यह प्रदर्शनी कश्मीर की प्राचीन भाषायी विरासत की एक शैक्षणिक एवं दृश्य यात्रा थी, जिसे उद्घाटन प्रतिनिधिमंडल ने गाइडेड टूर के माध्यम से देखा. बच्चों का कोना रंगों और कल्पनाओं से भरा हुआ था. युवा कलाकारों ने 'भारत इन स्पेस' थीम पर चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लिया. वहीं पारंपरिक कठपुतली शो ने बच्चों और बड़ों दोनों का दिल जीत लिया. साहित्यिक खंड में शारदा लिपि पर एक विचारोत्तेजक चर्चा और सूफी परंपराओं पर विशेष सत्र आयोजित किए गए, जिनका आयोजन एनसीपीयूएल और खुसरो फाउंडेशन द्वारा किया गया. यह सत्र भारतीय साहित्य और भाषाई परंपराओं के बदलते परिदृश्य को उजागर करते हैं। दिन ढलते जब सूजर जबरवान घाटी के पीछे डूब रहा था तब 'कला-ए-कश्मीर कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें कश्मीरी कला, संगीत और साहित्य की सुंदर प्रस्तुतियां देखने को मिली. प्रदर्शन करने वालों में वहीद ज़ीलानी, साजनवाज़ सूफियाना और ग्रुप एवं कश्मीर वैली थिएटर ग्रुप शामिल रहे.
200 से अधिक प्रकाशक, विभिन्न भारतीय भाषाओं में अपनी पुस्तकें लेकर इस आयोजन में शामिल हुए हैं. चिनार बुक फेस्टिवल केवल एक पुस्तक मेला नहीं, बल्कि विचारों, स्मृतियों और लिखे हुए शब्दों का उत्सव है. दूसरे दिन में भी रचनात्मक कार्यशालाएं, साहित्यिक संवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी, जो कश्मीर की बौद्धिक और रचनात्मक चेतना को सम्मानित करती हैं.