Waste of Union Carbide Factory Burnt to Ashes: भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को पूरी तरह जलाकर खाक कर दिया गया है. अब इसके राख और अवशेष को दफनाने की प्रकिया जारी है. बताते चले कि लंबे विवादों के बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में 337 टन जहरीले कचरे को पीथमुप में जलाया गया है.
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Bhopal Gas Tragedy Waste: 2 दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल पुराने कचरे को जलाने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. लंबे समय तक कोर्ट में मामला रहने के बाद आखिरकर वो समय आया जब कचरे को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर लाया गया. हाईकोर्ट के फैसले के बाद कचरा जलाने का काम शुरू हुआ. 29 और 30 जून की मध्य रात्रि को लगभग 1 बजे तक पूरा 337 टन कचरा जलकर खाक हो गया.
दरअसल, बीते कुछ महीनों भोपाल के बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकले 337 टन जहरीले कचरे को कंटेनर में भरकर पीथमपुर लगाया गया. यहां रामकी ग्रुप के औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में धीरे-धीरे करके जहरीले कचरे को जला दिया गया है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि भोपाल गैस त्रासदी का कुल 337 टन कचरा भस्म हो गया है. यह पूरा कचरा प्रदूषण नियंत्रण मंडल की निगरानी में जलाया गया है.
हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
बता दें कि दिसंबर 2024 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हए कचरा जलाने का आदेश दिया था. इस दौरान एमपी हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि राज्य सरकार की तरफ से मार्च 2024 में पेश की गई योजना के मुताबिक न्यूनतम अवधि 185 और अधिकतम अवधि 377 दिनों में जहरीले कचरे को जलाने की थी. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी यह कचरा क्यों नहीं जलाया गया. इस दौरान कोर्ट ने 4 हफ्तों के भीतर कचरे को भोपाल से हटाने का निर्देश दिया था. जिसके बाद यूका के जहरीले कचरे को कड़ी सुरक्षा के बीच 1 जनवरी 2025 को भोपाल से पीथमपुर लाया गया.
कब शुरू हुई जलने की प्रक्रिया
पीथमपुर में जहरीला कचरा पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों ने भारी विरोध किया. हालांकि, समझा-बुझाकर लोगों को शांत कराया गया और बताया गया कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा. पहले रामकी सयंत्र में कचरे को ट्रायल के तौर पर 10-10 मीट्रिक टन जलाया गया. जिसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई. कचरे को पूरी तरह जलाने की प्रक्रिया 05 मई को देर शाम 07 बजकर 45 मिनट के आस-पास शुरू हुई थी. जो रविवार (29 जून) और सोमवार (30 जून) की मध्य रात्रि 01:00 बजे समाप्त हो गई. कचरा जलाने की पूरी प्रक्रिया पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निगरानी में की गई है.
क्या होगी राख
जानकारी के मुताबिक, कचरे से निकली राख और अन्य अवशेषों को बोरों में सुरक्षित तरीके से भरकर संयंत्र के ‘लीक-प्रूफ स्टोरेज शेड' में रखा जा रहा है. जिसे जमीन में दफनाने के लिए तय वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत विशेष सुविधा (लैंडफिल सेल) का बनाया जा रहा है. यह काम नवंबर तक पूरी होने की उम्मदी है.
सोर्स- मीडिया रिपोर्ट
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