MP News: कांग्रेस के अहमदाबाद राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद कई बड़े बदलाव होने की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में भी बिहार कांग्रेस का पैटर्न लागू हो सकता है. राहुल गांधी ने इसके संकेत दिए हैं.
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MP Congress: मध्य प्रदेश कांग्रेस में आने वाले दिनों में अहम बदलाव होने वाले हैं. इस बात के संकेत अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में मिले हैं. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस में जो पैटर्न लागू किया है, वहीं मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाएगा. जिसके तहत आने वाले दिनों में एमपी कांग्रेस में बड़ी सर्जरी होगी और कई जिलाध्यक्षों को हटाकर उनकी जगह नई नियुक्ति की जाएगी. जीतू पटवारी ने भी अधिवेशन के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात की है, माना जा रहा है कि अब जल्द ही नई जिलाध्यक्षों की लिस्ट कांग्रेस की तरफ से जारी की जा सकती है, जिसमें अहम बदलाव दिखेंगे.
कांग्रेस का मध्य प्रदेश पर खास फोकस
राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा 'हमें संगठन को नई दिशा में लेकर जाना है. पहले बिहार में हमारे जिलाध्यक्षों में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे, लेकिन अब नई लिस्ट में दो तिहाई ईबीसी, ओबीसी और एससी-एसटी के लोग हैं.' राहुल का यह बयान बताता है कि उनका फोकस पूरी तरह से फिलहाल ओबीसी वर्ग के साथ-साथ एससी-एसटी पर चल रहा है. राहुल का प्रयोग मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन में होने वाली नियुक्तियों में भी देखने को मिल सकता है. उनके बयान से साफ हैं कि मध्य प्रदेश में भी ज्यादातर जिलाध्यक्ष ओबीसी, आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग से हो सकते हैं, जबकि इसमें महिलाओं को भी जगह दी जा सकती है.
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एमपी में यहां अध्यक्ष ही नहीं
फिलहाल कांग्रेस के मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों पर एक नजर डाली जाए तो एमपी में कांग्रेस के 72 संगठनात्मक जिले हैं, जिनमें 34 जिला अध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं, जबकि 6 पद खाली हैं, वहीं बाकि के जिलाध्यक्ष ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग से आ रहे हैं. कांग्रेस के पास फिलहाल रायसेन, कटनी, रतलाम ग्रामीण, बैतूल शहर, खंडवा ग्रामीण और खंडवा शहर में जिलाध्यक्ष ही नहीं है. रायसेन जिले में ही डेढ़ साल से जिला अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है. यहां पार्टी में कोई भी अध्यक्ष नहीं है. लेकिन अब संगठन की नई जमावट में राहुल गांधी मध्य प्रदेश में भी इन्हीं वर्गों पर सबसे ज्यादा फोकस करने की तैयारी में हैं.
आदिवासी बहुल जिलों पर भी फोकस
कांग्रेस का आदिवासी बहुल जिलों पर भी खास फोकस दिख रहा है. माना जा रहा है कि अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, धार, मंडला, डिंडौरी जैसे ज्यादातर जिलों में आने वाली विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, ऐसे में कांग्रेस यहां सामान्य और ओबीसी वर्ग के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करके जातिगत संतुलन बनाना चाहेगी. जिसमें जिलाध्यक्षों के पास पॉवर भी रहेगी, जिसमें टिकट वितरण से लेकर संगठन के रणनीति तक की कहानी जिलाध्यक्षों की तरफ से बनाई जाएगी.
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