MP Fake Murder Case: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के थांदला इलाके में एक महिला ललिता की हत्या का केस दर्ज हुआ था. पुलिस ने पांच युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. लेकिन मार्च 2025 में ललिता खुद थाने पहुंची और बताया कि वह जिंदा है और मजदूरी कर रही थी. डीएनए जांच में भी इसकी पुष्टि हुई.
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Jhabua Murder Mystery: झाबुआ जिले के थांदला से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. यहां एक महिला की हत्या का आरोप लगाकर पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया और डेढ़ साल तक जेल में रखा गया. लेकिन अचानक वही महिला खुद थाने पहुंच गई और बताया कि वह जिंदा है और मजदूरी कर रही है. जैसे ही यह सच सामने आया, पुलिस पूरी तरह भौचक्का रह गई और पूरे मामले ने नया मोड़ ले लिया.
मिली जानकारी के मुताबिक, मामला तब सामने आया था, जब सितंबर 2023 में पंचायत प्रतिनिधि प्रकाश कटारे ने पानी में एक महिला का शव तैरता देखा. शव बुरी तरह से खराब हो गया है, चेहरा और दोनों हाथ कटे हुए थे. पहचान करने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी. लेकिन पुलिस ने मौके पर जाकर शव को कब्जे में ले लिया. शव की पहचान ललिता के परिजनों ने कर दी, जिनका कहना था कि वह उनकी बेटी ही है. हालांकि, शव की पहचान के लिए कोई डीएनए जांच नहीं कराई गई थी. इस पहचान के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की.
आरोपियों ने कबूली थी हत्या
जांच में सामने आया कि ललिता की दोस्ती शाहरुख नाम के युवक से थी और वह आखिरी बार उसी के साथ देखी गई थी. शाहरुख ने पुलिस को कबूल किया कि 500 रुपए के विवाद के चलते उसने और उसके साथियों ने मिलकर ललिता की हत्या कर दी. इसके बाद शाहरुख, इमरान, एजाज, सोनू और अजीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी और मामला कोर्ट में अंतिम सुनवाई के करीब पहुंच गया था.
मामले ने नया मोड़ ले लिया
लेकिन मार्च 2025 में इस मामले ने एक नया मोड़ लिया, जब ललिता खुद थाने पहुंची, तो उसने कहा मैं तो जिंदा हूं. उसने कहा कि वह मजदूरी के लिए बाहर गई थी और किसी भी तरह की घटना का सामना नहीं किया. पुलिस और परिजन दोनों हैरान रह गए. इसके बाद डीएनए टेस्ट कराया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि महिला वास्तव में ललिता है और उसकी हत्या नहीं हुई थी. इस खुलासे ने पूरे मामले को हिलाकर रख दिया.
पुलिस पर भी उठे सवाल
हाई कोर्ट ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और पुलिस पर सवाल उठाए कि पुलिस ने बिना डीएनए टेस्ट के कैसे शव की पहचान कर ली और पांच युवकों को बिना ठोस सबूत जेल में रखा. कोर्ट ने कहा, जिसकी मौत नहीं हुई, उसके नाम पर हत्या का आरोप कैसे लगाया जा सकता है?. इसके बाद सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया गया और 22 मई को वे जेल से बाहर आ गए.
निचली अदालत में मामला
अब सवाल उठता है कि असली मृत महिला की पहचान क्या है? क्योंकि शव के अंतिम संस्कार को डेढ़ साल हो चुके हैं और अब कोई अवशेष भी नहीं बचा. पुलिस की इस बड़ी लापरवाही की वजह से पांच लोग बेगुनाह जेल में रहे. निचली अदालत में अभी भी इस केस की सुनवाई अंतिम चरण में है और सभी की निगाहें पुलिस की कार्यप्रणाली और कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं. इस पूरे मामले ने प्रशासन की जांच और जांच प्रक्रिया की मजबूती पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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