उज्जैन में महाकाल की शाही सवारियों की तैयारी शुरू, कब-कब निकलेगी राजसी सवारी, देखिए डिटेल
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उज्जैन में महाकाल की शाही सवारियों की तैयारी शुरू, कब-कब निकलेगी राजसी सवारी, देखिए डिटेल

sawan 2025 baba mahakal sawari: उज्जैन में बाबा महाकाल के शाही सवारी की तैयारियां शुरू हो गईं हैं. इस बार सावन-भाद्रपद माह में बाबा महाकाल की कुल 6 राजसी सवारियां निकाली जाएंगी. 

 

उज्जैन में महाकाल की शाही सवारियों की तैयारी शुरू, कब-कब निकलेगी राजसी सवारी, देखिए डिटेल

Mahakal Ki Shahi Sawari: उज्जैन, श्रावण और भाद्रपद माह में बाबा श्री महाकालेश्वर की सवारी के भव्य आयोजन को लेकर प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. शुक्रवार को प्रशासनिक संकुल भवन में आयोजित बैठक में कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने निर्देश दिए कि पूर्व वर्षों के अनुभवों के आधार पर इस वर्ष व्यवस्थाओं को और अधिक बेहतर एवं सुव्यवस्थित बनाया जाए.

बैठक में बताया गया कि श्रावण मास में 4 और भाद्रपद मास में 2 सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाएगी. अंतिम षष्ठम सवारी राजसी (शाही) स्वरूप में 18 अगस्त 2025 को निकलेगी.

  • प्रथम सवारी: 14 जुलाई
  • द्वितीय सवारी: 21 जुलाई
  • तृतीय सवारी: 28 जुलाई
  • चतुर्थ सवारी: 4 अगस्त
  • पंचम सवारी: 11 अगस्त
  • षष्ठम राजसी सवारी: 18 अगस्त

बैठक में दिए गए ये निर्देश
श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन के लिए दर्शन व्यवस्था, टेन्ट, जूता स्टैंड, मोबाइल लॉकर, जल, विद्युत, बेरिकेटिंग, चिकित्सा व सफाई जैसी व्यवस्थाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए. बैठक में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 20वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2025 की तैयारियों पर भी चर्चा हुई. इस महोत्सव में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ स्थानीय प्रतिभाओं को भी मंच मिलेगा. बैठक में महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक, नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक, यूडीए सीईओ संदीप सोनी, एएसपी नितेश भार्गव, उपप्रशासक सिम्मी यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

शाही सवारी का इतिहास
गौरतलब है श्रावण-भाद्रपद माह में हर सोमवार को निकलने वाली शाही सवारी का विशेष महत्व है. सावन सोमवार को बाबा महाकाले विशेष रूप के दर्शन तो होते ही हैं. साथ में सावन के हर सोमवार को महाकाल की सवारी भी निकाली जाती है, जिसमें बाबा महाकाल को विभिन्न वाहनों पर सजाकर नगर भ्रमण पर ले जाया जाता है. बाबा महाकाल की शाही सवारी दिव्य और अलौकिक होती है. बाबा महाकाल की शाही सवारी का इतिहास बहुत पुराना है. जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. ग्यारहवीं शताब्दी के राजा भोज ने इस परंपरा को बड़े रूप में करना शुरू किया. कहा जाता है कि इस शाही सवारी में राजा भोज ने नए कलाकारों और संगीतकारों को शामिल किया, मुगल सम्राट अकबर और जहांगीर भी इस जुलूस में शामिल हुए थे, सिंधिया वंश के राजाओं ने इस जुलूस को और अधिक भव्य बनाया उन्होंने जुलूस में कई नए रथ और हाथी घोड़ों को भी शामिल किया.

रिपोर्ट- अनिमेष सिंह, जी मीडिया, उज्जैन

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