साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूत नहीं, NIA कोर्ट का बड़ा फैसला.. मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी
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साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूत नहीं, NIA कोर्ट का बड़ा फैसला.. मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी

NIA Court: एनआईए कोर्ट ने माना कि धमाका हुआ था लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था या वह बाइक किसकी थी. अदालत ने ये भी माना कि आरोपियों की आवाज की जो रिकॉर्डिंग पेश की गई वो संदेह के परे नहीं थी और जो फॉरेंसिक सबूत पेश किए गए..  वे कंटेमिनेटेड थे.

साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूत नहीं, NIA कोर्ट का बड़ा फैसला.. मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी

Malogaon Blast Case: 17 साल बाद मालेगांव बम धमाके में बड़ा फैसला सामने आया है. NIA की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि इनके खिलाफ UAPA, आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत लगाए गए किसी भी आरोप को साबित नहीं किया जा सका.

कोर्ट ने माना- वह बाइक इनकी नहीं थी
असल में एनआईए कोर्ट ने माना कि धमाका हुआ था लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था या वह बाइक किसकी थी. अदालत ने ये भी कहा कि 'अभिनव भारत' संगठन को अभियोजन पक्ष ने बार-बार आतंक की साजिश के रूप में पेश किया लेकिन यह भी साबित नहीं हुआ कि संगठन का पैसा आतंक गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ. कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपियों की आवाज की जो रिकॉर्डिंग पेश की गई वो संदेह के परे नहीं थी और जो फॉरेंसिक सबूत पेश किए गए.. वे कंटेमिनेटेड थे. कंटेमिनेटेड का मतलब हुआ कि पूर्ण रूप से सही नहीं.

UAPA की धाराएं मान्य नहीं 
इसके अलावा यह भी सामने आया कि यूएपीए के तहत केस चलाने के लिए जो मंजूरी दी गई थी वह प्रक्रियात्मक रूप से गलत थी. कोर्ट के मुताबिक दोनों सैंक्शन ऑर्डर दोषपूर्ण थे इसलिए UAPA की धाराएं मान्य नहीं मानी गईं. ऐसे में कोर्ट ने सबूतों की कमी और संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को रिहा करने का फैसला सुनाया.

यह मामला तब का है कि जब 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगे विस्फोटक से धमाका हुआ था जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 95 लोग घायल हुए थे. फिलहाल एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया है.

आज कोर्ट रूम में क्या-क्या हुआ

  • जज ने कहा कि बम किसने रखा यह साबित नहीं हुआ.
  • साध्वी प्रज्ञा की बाइक होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
  • प्रसाद पुरोहित के घर आरडीएक्स मिला. यह आरोप भी सिद्ध नहीं हो सका.
  • फरीदाबाद और भोपाल में साजिश रचने का दावा किया गया था. लेकिन उसका भी कोई सबूत नहीं मिला.
  • आरोपियों की आवाज रिकॉर्डिंग और फॉरेंसिक सबूत शक के दायरे में रहे.
  • कोर्ट ने माना कि यूएपीए की दो धाराओं की मंजूरी प्रक्रिया में खामियां थीं इसलिए उन्हें लागू नहीं किया जा सकता.
  • कोर्ट ने कहा आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है

FAQ
Q1: मालेगांव बम धमाका कब हुआ था?
Ans: 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास बम धमाका हुआ था.

Q2: कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा और अन्य को क्यों बरी किया?
Ans: कोर्ट को आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला, इसलिए उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया.

Q3: क्या UAPA कानून इस केस में लागू हुआ?
Ans: नहीं, कोर्ट ने कहा कि UAPA की मंजूरी प्रक्रिया दोषपूर्ण थी, इसलिए धाराएं मान्य नहीं हैं.

Q4: क्या धमाके में मरने वालों को मुआवजा मिलेगा?
Ans: सभी मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा मिलेगा.

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