Bulandshahr News: बुलंदशहर के स्याना में 7 साल पहले हुई हिंसा में कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है. कोर्ट ने 38 आरोपियों को दोषी करार दिया है. एक अगस्त को सजा का ऐलान किया जाएगा.
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Bulandshahr News: बुलंदशहर के सात साल पुराने चर्चित स्याना हिंसा मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है. बुलंदशहर की एडीजे-12 कोर्ट ने स्याना हिंसा के सभी 39 बचे हुए आरोपियों में से 38 को दोषी करार दे दिया है. इस घटना में तत्कालीन थाना प्रभारी सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था. कोर्ट सभी दोषियों के खिलाफ एक अगस्त को सजा सुनाएगी.
जब 7 साल पहले सुलग उठा था स्याना
बता दें कि 3 दिसंबर 2018 को स्याना की चिंगरावठी चौकी क्षेत्र के महाव गांव के जंगल में गौवंश के अवशेष मिले थे. बजरंग दल और स्थानीय लोग इसके विरोध में हंगामा कर रहे थे. भीड़ ने स्याना रोड को जाम कर दिया था. इस दौरान इस्लामिक इज्जिमा की भीड़ भी वहां से गुजरने वाली थी. पुलिस भीड़ को रोकना चाह रही थी. इस पर भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया था. तोड़फोड़ और फायरिंग भी की गई थी. पूरे हिंसा में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और एक सुमित नाम के युवक की हत्या कर दी गई थी.
पांच आरोपियों को इंस्पेक्टर की हत्या का दोषी पाया गया
पूरे मामले में बुधवार को एडीजे-12 गोपाल जी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुल 5 आरोपी प्रशांत नट, डेविड, जोनी, राहुल और लोकेंद्र मामा को इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या का दोषी पाया गया है. वहीं, बाकी के 33 आरोपियों को बलबा, जानलेवा हमला (धारा 307) और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी माना गया है. अब 1 अगस्त को सजा का ऐलान होगा. कोर्ट ने सभी दोषियों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. सुरक्षा की दृष्टि से कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.
44 के खिलाफ दाखिल की गई थी चार्जशीट
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 44 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. हालांकि, 5 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है और एक आरोपी बाल अपचारी है, जिसकी सुनवाई अलग से हो रही है. बाकी सभी आरोपियों को कोर्ट ने दोषी मानते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. बता दें कि 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना इलाके में गोकशी की अफवाह के बाद भड़की हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस हिंसा में भारी तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई थी. घटना के बाद प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया था और कानून-व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हुए थे.
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