इकलौता देश जहां लड़कियों को पढ़ना-लिखना मना था, वहां शुरू हुआ- लेट्स स्टडी कैंपेन
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इकलौता देश जहां लड़कियों को पढ़ना-लिखना मना था, वहां शुरू हुआ- लेट्स स्टडी कैंपेन

Taliban News: ऑनलाइन बयान में कार्यकर्ताओं ने कहा कि नए स्कूल वर्ष की शुरुआत के साथ ही 4 लाख अन्य लड़कियां शिक्षा से दूर हो गई हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगान लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक पहुंचने से रोक दिया है.

फोटो क्रेडिट: @UNICEF
फोटो क्रेडिट: @UNICEF

Afghanistan’s Ban on Girls’ Secondary Education: अफगान महिलाएं अपने भविष्य को लेकर एक बार फिर सजग हुई हैं. अधिकारों के लिए लड़ने लगी हैं. मुखर होकर अपना हक मांग रही हैं. अफगानिस्तान की महिलाओं ने तालिबान शासन को चुनौती देते हुए 'लेट्स स्टडी' नाम के कार्यक्रम की शुरुआत की है. पांच साल पहले अमेरिका जब अफगानिस्तान के लोगों को बीच मझधार में छोड़कर धीरे से निकल गया था, तब से अब तक काबुल में काफी बदलाव आया है. 

पांच साल पहले क्या हुआ था?

दरअसल, 20 साल पहले जिस तालिबान को उखाड़ फेंकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अपनी ताकत झोंक दी थी, 2020 में उसी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान से समझौता कर लिया. दोहा डील के नाम से चर्चित यह समझौता 29 फरवरी 2020 को हुआ था. इसके तहत अमेरिका और नाटो को एक मई 2021 तक अफगानिस्तान छोड़ देना था.

तालिबान ने लगाया था पढ़ने पर बैन

अफगानिस्तान में चार साल तक लड़कियों की शिक्षा पर रोक रहने के बाद, कई महिला कार्यकर्ताओं ने तालिबानी नियमों की निंदा करते हुए नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत के अवसर पर 'लेट्स स्टडी' नामक अभियान शुरू किया है. ऑनलाइन बयान में कार्यकर्ताओं ने कहा कि नए स्कूल वर्ष की शुरुआत के साथ ही 4 लाख अन्य लड़कियां शिक्षा से दूर हो गई हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगान लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक पहुंचने से रोक दिया है.

दक्षिण एशियाई राष्ट्र में महिला अधिकार प्रदर्शनकारियों के अभियान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से 'अज्ञानी आतंकवादी समूह' तालिबान के प्रतिबंध के खिलाफ शिक्षा तक पहुंच के लिए अफगान महिलाओं के संघर्ष में उनका समर्थन करने की अपील भी की है. एक्टिविस्ट ने कहा कि महिलाओं को अब वास्तविक अधिकारियों से कोई उम्मीद नहीं है, जो महिलाओं के व्यवस्थित उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल हैं.

अफगान महिलाओं के शिक्षा के अधिकार के लिए यूरोपीय संघ (EU) के समर्थन को सुनिश्चित करते हुए अफगानिस्तान में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने रविवार को देश के भविष्य को आकार देने में महिलाओं और लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. 

अफगानिस्तान में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'अफगानिस्तान के दीर्घकालिक लचीलेपन और समृद्धि को देखते हुए सभी के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है. शिक्षित महिलाएं, अपने महत्वपूर्ण कौशल और ज्ञान के साथ, एक मजबूत, अधिक स्थिर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र देश की निर्माता हैं. यूरोपीय संघ उनके शिक्षा के अधिकार का समर्थन करता है.'

यह बयान शनिवार को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के आग्रह के बाद आया है कि देश में नए स्कूल वर्ष की शुरुआत के साथ ही इस्लामिक देश की सभी लड़कियों को स्कूल लौटने की अनुमति दी जानी चाहिए. एजेंसी ने कहा कि यदि यह प्रतिबंध 2030 तक जारी रहता है, तो चार मिलियन से अधिक लड़कियां प्राथमिक विद्यालय से आगे की शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगी.

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा, 'इन लड़कियों और अफगानिस्तान के लिए परिणाम भयावह हैं. प्रतिबंध स्वास्थ्य प्रणाली, अर्थव्यवस्था और राष्ट्र के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. कम लड़कियों को शिक्षा मिलने से, लड़कियों को बाल विवाह का अधिक जोखिम होता है, जिसका उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.'

दुनिया का अकेला देश जहां गर्ल्स एजुकेशन पर बैन

उन्होंने कहा, 'हम हर अफगान लड़की के शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार की वकालत करना जारी रखेंगे और हम वास्तविक अधिकारियों से इस प्रतिबंध को तुरंत हटाने का आग्रह करते हैं. शिक्षा केवल एक मौलिक अधिकार नहीं है, यह एक स्वस्थ, अधिक स्थिर और समृद्ध समाज का मार्ग है.'

अफगानिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां लड़कियों और महिलाओं के लिए माध्यमिक और उच्च शिक्षा पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
2024 में प्रकाशित यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार, तालिबान शासित देश में 1.4 मिलियन लड़कियों को जानबूझकर स्कूली शिक्षा से वंचित रखा गया है. प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच में भी भारी गिरावट आई है, जहां 1.1 मिलियन कम लड़कियां और लड़के स्कूल जाते हैं. (IANS)

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