Aalborg Zoo controversy: डेनमार्क में एक अजीबोगरीब घटना ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. एक मां ने अपनी बेटी के पुराने पालतू घोड़े को चिड़ियाघर को दान कर दिया ताकि उसे मारकर शेरों को खिलाया जा सके. यह खबर सुनकर हर कोई हैरान है.
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Denmark animal donation: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मामला काफी तेजी से चर्चा में आ गया है. दरअसल अपनी बेटी के पुराने पालतू घोड़े को उसकी मां ने चिड़ियाघर को दान कर दिया. जहां ये दान सिर्फ इसलिए नहीं किया गया कि वहां उसकी देखभाल होगी, बल्कि शेर के भोजन के लिए भी उसे दान किया गया है. यानी कि घोड़े को मारकर शेर जैसे जंगली जानवरों को खिलाया जाएगा. दरअसल यह मामला 44 साल की पर्निले सोहल से जुड़ा है. उन्होंने अपनी बेटी के 22 साल पुराने जर्मन राइडिंग घोड़े शिकागो 57 को आलबोर्ग जू को दान कर दिया. जहां यह मामला काफी चर्चाओं में आ गया है. लोग इस मामले को लेकर कई तरह की प्रतिक्रयाएं भी दे रहे हैं.
पर्निले ने अपने इस फैसले का बचाव करते हुए बताया कि घोड़ा एक्जिमा और लगातार दर्द से पीड़ित था, जिसकी वजह से उसकी जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई थी. उन्होंने कहा कि वैसे भी उस जानवर को मारना ही था, तो क्यों न उसे शिकारियों के भोजन के रूप में दिया जाए. जानकारी के लिए बता दें कि पर्निले खुद एक छोटे फार्म की मालकिन हैं. उनकी फार्म में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे बच्चे घोड़ों के साथ कुछ समय बिताते हैं. हालांकि उन्होंने इस दान के लिए कोई पैसा नहीं लिया है, लेकिन उन्हें टैक्स में छूट मिली.
चिड़ियाघर की नई पहल
आपको बता दें कि आलबोर्ग जू ने हाल ही में लोगों से अपील की थी कि वे अपने उन पालतू जानवरों को दान कर दें जिन्हें वे नहीं पाल सकते. जू में आप मुर्गियां, खरगोश, गिनी पिग और घोड़े जैसे जानवरों को दान कर सकते हैं. चिड़ियाघर ने साफ किया था कि इन जानवरों को उनके शिकारियों जैसे कि यूरोपियन लिंक्स के प्राकृतिक आहार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. चिड़ियाघर का मानना है कि यह जानवरों की प्राकृतिक फूड चेन को बनाए रखने के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे उन्हें पोषण के साथ-साथ शिकार करने का व्यवहार भी मिलता है.
इतने जानवर किए गए दान
चिड़ियाघर के अनुसार साल 2025 की शुरुआत से अब तक करीब 22 घोड़े, 53 मुर्गियां, 137 खरगोश और 18 गिनी पिग दान में मिल चुके हैं. वहीं एक और महिला हेलेन ह्योर्थोल्म एंडरसन ने भी अपने घोड़े को इसी तरह दूसरे चिड़ियाघर में दान किया था. उनका कहना था कि मृत जानवर को हटाने में बहुत खर्च आता है, इसलिए यह एक सुविधाजनक तरीका है.
लोगों की प्रतिक्रिया
कुछ लोग इस पहल को एक व्यावहारिक और किफायती कदम मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं. यह बहस दिखाती है कि पालतू जानवरों को लेकर लोगों की भावनाएं और जानवरों के प्राकृतिक जीवन को लेकर उनका नजरिया कितना अलग है.