Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जगदीप धनखड़ ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति हैं, जिन्होंने पद पर रहते हुए इस्तीफा दिया है. इससे पहले, वीवी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 और आर वेंटकरमन ने 24 जुलाई, 1987 को अपने पद से इस्तीफा दिया था.
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Vice President of India powers: भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति का होता है. यह पद देश के संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है. जो खासकर राज्यों के हितों की रक्षा करते हैं. भारतीय संविधान में इस पद से जुड़े कई अनुच्छेद हैं, जो उनके चुनाव, पदभार ग्रहण और अधिकारों को परिभाषित करते हैं. आइए, भारत के उपराष्ट्रपति की ताकत और उनके कर्तव्यों के बारे में जानते हैं.
भारत में कैसे चुने जाते हैं उपराष्ट्रपति?
संविधान का अनुच्छेद 63 स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा.’ जोकि देश का दूसरा सर्वोच्च पद है. वहीं, भारत के उपराष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, यानी जनता सीधे उन्हें नहीं चुनती है. संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन किया गया है.
ऐसे में, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य शामिल होते हैं. इसमें नामित सदस्य भी मतदान कर सकते हैं.
उपराष्ट्रपति के पास क्या शक्तियां होती हैं?
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है. यह उपराष्ट्रपति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. संविधान का अनुच्छेद 64 कहता है कि ‘उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा और लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं करेगा.’ इस क्षमता में, उनके पास कई अधिकार होते हैं. सदन की कार्यवाही का संचालन करना. सदन में बहसों को नियंत्रित करना. किसी भी प्रस्ताव पर मतदान कराना और परिणाम की घोषणा करना.
इतना ही नहीं, उपराष्ट्रपति टाई की स्थिति में निर्णायक वोट देता है. किसी विधेयक या प्रस्ताव पर वोटों के बराबर होने की स्थिति में, उपराष्ट्रपति को निर्णायक मत डालने का अधिकार होता है. हालांकि, वे सामान्य परिस्थितियों में मतदान नहीं करते हैं.
राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यभार संभालना
यह उपराष्ट्रपति की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. संविधान के अनुच्छेद 65 में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है. अगर राष्ट्रपति का पद उनकी मृत्यु, त्यागपत्र, या महाभियोग द्वारा हटाए जाने के कारण खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति तब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं जब तक कि कोई नया राष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता. यह अवधि अधिकतम छह महीने की हो सकती है, क्योंकि इस अवधि के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव अनिवार्य होता है.
वहीं, अगर राष्ट्रपति बीमारी, विदेश यात्रा या किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ होते हैं, तो उपराष्ट्रपति तब तक उनके कार्यों का निर्वहन करते हैं जब तक राष्ट्रपति वापस नहीं आ जाते या स्वस्थ नहीं हो जाते. बता दें, इस अवधि में वे राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करते हैं.
उपराष्ट्रपति बनने के लिए क्या योग्यताएं चाहिए?
उपराष्ट्रपति की योग्यताओं का उल्लेख अनुच्छेद 66 में किया गया है. भारत का नागरिक हो. आयु 35 वर्ष पूर्ण हो चुकी हो. राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो. साथ ही, वह संघ सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो.
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