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एकादशी के दिन चढ़ाएं ये भोग, श्री हरि की बनी रहेगी कृपा

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है. एकादशी के दिन व्रत करने से जीवन के दुख दूर होते हैं. आइए जानते हैं एकादशी के दिन किन चीजों का भोग लगाना चाहिए. एकादशी की उत्पत्ति कैसे हुई है. 

 

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पंचांग में एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं और जिस साल अधिक मास रहता है, उस साल में कुल 26 एकादशियां हो जाती हैं. स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है. भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव पुत्र युधिष्ठिर को एकादशियों के बारे में जानकारी दी थी. जो भक्त एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें भगवान श्रीहरि की कृपा मिलती है. नकारात्मक विचार दूर होते हैं. अक्षय पुण्य मिलता है. घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. एकादशी पर भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए. भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी का भी अभिषेक करें. दोनों देवी-देवता को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें. फूलों से श्रृंगार करें. तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं.

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 एकादशी पर व्रत-उपवास करना चाहते हैं तो इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें. गणेश जी को जल चढ़ाएं. वस्त्र और फूलों से श्रृंगार करें. चंदन, दूर्वा, हार-फूल अर्पित करें. लड्डू का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाकर आरती करें. गणेश पूजा के बाद श्रीकृष्ण का अभिषेक करें. बाल गोपाल का अभिषेक सुगंधित फूलों वाले जल से करें. इसके लिए पानी में गुलाब, मोगरा जैसे सुंगधित फूलों की पंखुड़ियां डालें और इस जल से भगवान का अभिषेक करें. अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर करें. बाल गोपाल को पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं. फूलों से श्रृंगार करें. मोर पंख के साथ मुकूट पहनाएं. पूजा में गौमाता की मूर्ति भी जरूर रखें. दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाएं और चांदी के बर्तन में भरें और तुलसी के साथ भोग लगाएं. माखन-मिश्री भी अर्पित करें. भगवान को कुमकुम, चंदन, चावल, अबीर भी अर्पित करें. ताजे फल, मिठाइयां चढ़ाएं. धूप-दीप जलाकर आरती करें. पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें. प्रसाद बांटें और खुद भी लें. पूजा में श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जप करते रहना चाहिए. इस तरह भगवान बाल गोपाल का अभिषेक किया जा सकता है.

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मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को भगवान विष्णु से एकादशी तिथि प्रकट हुईं यानी उत्पन्न हुई थीं. इसलिए इस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है. इसे उत्पत्तिका, उत्पन्ना और प्राकट्य एकादशी भी कहा जाता है. पद्म पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस एकादशी की उत्पत्ति और इसके महत्व के बारे में बताया था. व्रतों में एकादशी को प्रधान और सब सिद्धियों को देने वाला माना गया है.

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 एकादशी पर शिव पूजा भी करनी चाहिए. शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं. बेल पत्र, हार-फूल, चंदन से श्रृंगार करें. किसी मंदिर में शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. बाल गोपाल का अभिषेक करें. तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाएं और आरती करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.

 

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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.

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