साल बाद भी नहीं बना टूटा पुल, स्कूली बच्चों को गोद में उठाकर पार कराया उफनता नाला
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साल बाद भी नहीं बना टूटा पुल, स्कूली बच्चों को गोद में उठाकर पार कराया उफनता नाला

पांवटा साहिब का टोका गुलाबगढ़ का रास्ता भारी बारिश के चलते बह गया है. सड़क पर पुल न होने और पानी अधिक आने के कारण छोटे छोटे स्कूली बच्चों को गोद में उठा कर ग्रामीणों ने पानी से भरा नाला पार करवाया.

साल बाद भी नहीं बना टूटा पुल, स्कूली बच्चों को गोद में उठाकर पार कराया उफनता नाला

Paonta Sahib News: हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब उपमंडल के टोका नगला गुलाबगढ़ मार्ग पर बनी मुख्य पुलिया एक साल पहले बारिश में बह गई थी, लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक उसका पुनर्निर्माण नहीं हो पाया. पुल के अभाव में बारिश के दिनों में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और इसका सबसे बड़ा असर स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है.

उफनते नाले से पार कराए गए बच्चे, युवाओं की मानव श्रृंखला बनी सहारा
हाल ही में हुई भारी बारिश के बाद जब नाले में उफान आया, तो स्कूल से लौट रहे छोटे बच्चों का उस पार जाना लगभग असंभव हो गया. ऐसे में गांव के युवाओं ने मोर्चा संभाला. पहले उन्होंने बच्चों के बैग एक-एक करके दूसरी ओर पहुंचाए, फिर बच्चों को गोद में उठाकर सुरक्षित पार करवाया. यह दृश्य जहां एक ओर सरकारी तंत्र की नाकामी को उजागर करता है, वहीं स्थानीय युवाओं की जिम्मेदारी और हिम्मत को भी दिखाता है.

पिछले साल बहा पुल, एक साल में नहीं मिली राहत
यह वही पुल है जो पिछली बरसात के दौरान बरसाती सैलाब में बह गया था. तब से अब तक ग्रामीणों ने प्रशासन और विभागों के चक्कर काटे, बार-बार मांग की, लेकिन न तो स्थायी समाधान हुआ, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई.

सरकारी योजनाओं की पोल खोलती तस्वीरें हो रही वायरल
ग्रामीणों द्वारा बच्चों को इस तरह गोद में उठाकर नाला पार कराने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जो साफ तौर पर दिखाती हैं कि सरकारी विभागों ने जनसरोकारों से मुंह मोड़ लिया है. लोगों में रोष है कि जब आम जनता को सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उस समय सरकारी तंत्र निष्क्रिय बन जाता है.

प्रशासन पर उठ रहे सवाल, लोग कर रहे कोसने
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे लगातार वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते आज भी उन्हें वही खतरा झेलना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने सरकार और संबंधित विभागों से मांग की है कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर पुल का निर्माण शुरू कराया जाए, ताकि भविष्य में बच्चों और अन्य लोगों की जान जोखिम में न पड़े.

यह मामला न सिर्फ सिस्टम की विफलता की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जब सरकार पीछे हटती है, तो समाज कैसे अपनी जिम्मेदारी निभाता है.

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