Judges Appointment in High Court: केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी है, जिनमें दो मुस्लिम न्यायिक अधिकारी, अब्दुल शाहिद और जफीर अहमद शामिल हैं. यह नियुक्ति न्यायपालिका में मुस्लिम समुदाय के बढ़ते प्रतिनिधित्व की दिशा में एक अहम कदम है.
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Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायधीशों की संख्या में इजाफा करते हुए केंद्र सरकार ने पांच नए जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. इन नियुक्तियों में खास बात यह है कि दो मुस्लिम न्यायिक अधिकारियों को हाईकोर्ट में जज बनाया गया है. जिनमें अब्दुल शाहिद और जफीर अहमद शामिल हैं.
यह नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम की सिफारिश पर हुई हैं, जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इस बार सरकार ने हाईकोर्ट में मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिया है. जिसमें जस्टिस अब्दुल शाहिद, अभी तक पीलीभीत में जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में तैनात थे. इससे पहले वह पहले रायबरेली, प्रतापगढ़ और अमेठी जैसे जिलों में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
वहीं, जस्टिस जफीर अहमद को भी न्यायिक सेवा का खासा अनुभव है. जस्टिस जफीर अहमद इससे पहले गोंडा के जिला जज थे और वे अमरोहा, झांसी और बदायूं में भी जिला न्यायधीश रह चुके हैं. इसके अलावा वे लखनऊ की कॉमर्शियल कोर्ट में प्रेज़ाइडिंग ऑफिसर के रूप में भी काम कर चुके हैं.
इन दो मुस्लिम जजों के अलावा तीन अन्य न्यायिक अधिकारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में नियुक्ति दी गई है. जिनमें जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, संतोष राय और तेज प्रताप तिवारी शामिल है. देश के सबसे बड़े सूबे के हाईकोर्ट में इन सभी जजों की नियुक्तियों को संविधान के अनुच्छेद 217 (1) के तहत भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से की गई हैं.
बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 160 है, जिसमें से अब तक 84 जज कार्यरत थे. इन पांच नई नियुक्तियों के साथ अब यह संख्या बढ़कर 89 हो जाएगी. इससे पहले अप्रैल 2025 में भी छह न्यायिक अधिकारियों को जज बनाया गया था, जिनमें से अब्दुल शाहिद और तेज प्रताप तिवारी का नाम पहले भेजे गए आठ नामों की सूची में शामिल था. हालांकि, तब उनके नाम को मंजूरी नहीं मिली थी.
इस बार फिर अब्दुल शाहिद और तेज प्रताप तिवारी की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया. यह नियुक्तियां वरिष्ठता के आधार पर की गई हैं और सभी जज अपनी-अपनी नियुक्ति की तारीख से पदभार ग्रहण करेंगे. मुस्लिम समुदाय से दो जजों की यह नियुक्ति न्यायिक व्यवस्था में प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.