Sambhal: आखिर मस्जिद की दीवार की पुताई से किसे लग रहा है डर; हाईकोर्ट ने ASI से पूछा सवाल?
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Sambhal: आखिर मस्जिद की दीवार की पुताई से किसे लग रहा है डर; हाईकोर्ट ने ASI से पूछा सवाल?

Sambhal Violence: मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई कराने का आग्रह किया है जिस पर एएसआई की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई की है.

Sambhal: आखिर मस्जिद की दीवार की पुताई से किसे लग रहा है डर; हाईकोर्ट ने ASI से पूछा सवाल?

Sambhal Violence: संभल में मौजूद शाही जामा मस्जिद की पुताई के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज यानी 10 मार्च सुनवाई हुई है. इस दौरान कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकील को विशेष रूप से यह बताने को कहा कि मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई को लेकर क्या पूर्वाग्रह है? यह निर्देश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी द्वारा जताई गई आपत्ति पर दिया.

कमेटी ने की थी ये गुजारिश
मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की बाहरी दीवार की पुताई कराने का आग्रह किया है जिस पर एएसआई की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है. मस्जिद कमेटी के वकील, सीनियर वकील एसएफए नकवी ने कहा कि ASI सिर्फ मस्जिद के भीतर की दीवार के बारे में बात कर रहा है. कोर्ट ने संभल के जिला मजिस्ट्रेट को साल 1927 में प्रशासन और मस्जिद कमेटी के बीच हुए समझौते की मूल प्रति सुनवाई की अगली तिथि 12 मार्च, 2025 को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इसी समझौते के तहत मस्जिद एएसआई को सौंपी गई थी.

इससे पहले ASI के रिपोर्ट में क्या किया गया था दावा
इससे पहले, एएसआई द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मस्जिद के भीतर की दीवार पर सिरेमिक पेंट किया गया है और वर्तमान में पुताई की कोई जरूरत नहीं है. तब अदालत ने एएसआई को मस्जिद परिसर से धूल और घास की सफाई करने करने का निर्देश दिया था.

यह मामला कैसे पहुंचा हाईकोर्ट
गौरतलब है कि संभल की एक स्थानीय अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद मस्जिद का सर्वे करने वाली टीम पहुंची, जिस दौरान हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में कम से कम 4 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. हिंसा फैलाने के आरोप में कम से कम 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हर साल रमजान के पवित्र महीने से पहले मस्जिद की रंगाई-पुताई की जाती है. इस साल भी मस्जिद की रंगाई-पुताई होनी थी, लेकिन प्रशासन ने इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच गया.

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