Muslim Vote in Bihar Election 2025: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासी रस्साकशी तेज हो गई है. सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने वोटर्स को रिझाने के लिए जातिगत कार्ड खेल रहे हैं. दूसरी तरफ बीजेपी और उसके सहयोगी दल बिहार में घुसपैठ कर मुस्लिम आबादी बढ़ने का दावा कर रहे हैं. ऐसे आइये जानते हैं कि बिहार कहां और कितनी है मुस्लिम आबादी.
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Bihar Muslim Population: बिहार की 243 विधासनभा सीटों पर इस साल अक्टूबर या नवंबर तक चुनाव संभावित हैं. विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच बिहार में सियासी हलचल बढ़ गई है. बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी सहित दूसरे सियासी दल बेहतर नतीजे हासिल करने के लिए अपने वोट बैंक को साधने में लगे हैं.
चुनावी साल में चुनाव आयोग ने विवादित आदेश देते हुए बिहार के सभी जिलों में वोटर लिस्ट रिवीजन के आदेश दिए हैं. वोटर लिस्ट में अपना नाम नए सिरे से जुड़वाने और कायम रखने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ शर्तें रखी हैं. वहीं, चुनाव से पहले बीजेपी समेत दक्षिणपंथी संगठनों ने बिहार में मुसलमानों पर घुसपैठ कर डेमोग्राफी बदलने के आरोप लगा रहे हैं.
बिहार के 38 जिलों में 7.9 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं. चुनाव आयोग के आदेश के बाद सभी वोटर्स की वोटर आईडी संदेह के घेरे में आ गए हैं. इंडिया गठबंधन और एनडीए के घटक दलों ने जातिगत आधार पर वोटर्स को रिझाने में लगे हैं. दूसरी तरफ प्रदेश के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है.
सीमांचल के चार जिलों, खासकर किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है, जिसे आरजेडी और इंडिया गठबंधन का वोट बैंक माना जाता है. खासकर किशनगंज में 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है. बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि यहां मुस्लिमों की आबादी घुसपैठ की वजह से हुई है, इसकी वजह है कि हाल के दिनों में दावा किया गया है कि इन जिलों में आबादी से ज्यादा आधार कार्ड बन गए हैं.
आधार कार्ड की संख्या साल 2011 के जनगणना से तुलना की गई. हालांकि, पिछले 15 सालों से बिहार समेत पूरे देश में जनगणना नहीं हुई है, और इस डेढ़ दशक में न सिर्फ सीमांचल के इन चार जिलों में बल्कि बिहार के अन्य जिलों में दूसरे समुदाय की आबादी बेतहाशा बढ़ी है. पिछले 14 सालों में जो आबादी बढ़ी है, उन लोगों के भी आधार कार्ड बनाए गए हैं. इसलिए आबादी के पुराने आकड़ों के हिसाब से आधार कार्ड की संख्या ज्यादा होना स्वाभाविक है. लेकिन सियासी जमात इन आंकड़ों के जरिये चुनाव से पहले एक सांप्रदायिक रंग देकर सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
विवादों, आरोपों और कयासों से उलट बिहार के ज्यादातर जिलों में मुसलमानों की आबादी बहुत कम है. बिहार की 2023 जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, यहां लगभग 82 फीसदी आबादी हिंदू धर्म को मानने वाली है, जिसमें यादव, कुर्मी, कुशवाहा, ब्राम्हण, भूमिहार, राजपूत, मुसहर, मल्लाह, बनिया और कायस्थ हैं. जबकि मस्लिम आबादी महज 17.70 फीसदी है.
आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के लक्खीसराय और शेखपुरा जिलों में सबसे कम मुस्लिम आबादी है. लक्खीसराय में सबसे कम 4.08 फीसदी (40,886) और शेखपुरा में 5.92 फीसदी(37,653) आबादी मुस्लिम हैं. इसी तरह बक्सर में 6.18 फीसदी (1,05,423), जहानाबाद 6.73 फीसदी (75,742), नालंदा में 6.88 फीसदी (1,98033), भोजपुर में 7.25 फीसदी (5,37,098) और राजधानी पटना में 7.54 फीसदी (4,39,952) आबादी मुस्लिम है.
इसी तरह बिहार कई और जिले हैं, जहां मुस्लिम समुदाय की आबादी 10 फीसदी से कम है. इसके बावजूद दक्षिणपंथी संगठनों के जरिये घुसपैठ के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसी तरह मुंगेर में मु्स्लिम आबादी महज 8.07 फीसदी (1,10,416) है. इसी तरह 10 फीसदी से कम मुस्लिम आबादी वाले अरवल में 9.17 फीसदी(64,259), औरंगाबाद में 9.34 फीसदी (2,37,353), कैमूर (भभुआ) में 9.55 फीसदी (1,55,283) और वैशाली में 9.56 फीसदी (3,33,980) है.
फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम आबादी और घुसपैठ को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है. बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों ने सीमांचल के जिलों में मुस्लिम आबादी बढ़ने को लेकर आरोप लगाए हैं, खासकर किशनगंज (68 फीसदी मुस्लिम) जैसे इलाकों में. हालांकि, 2023 की जातिगत जनगणना के आंकड़े इन दावों के उलट हैं. पूरे बिहार में 82 फीसदी हिंदू और महज 17.70 फीसदी मुस्लिम आबादी है. लखीसराय और शेखपुरा जैसे कई जिलों में तो यह आंकड़ा 10 फीसदी से भी कम है, जो 'डेमोग्राफी बदलने' के आरोपों की पोल खोलते हैं और इसे चुनावी ध्रुवीकरण की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.