Bihar News: AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गंभीर इल्जाम लगाते हुए कहा कि बिहार में चुपचाप NRC किया जा रहा है. पूरी खबर पढ़ें.
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Bihar News: AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग (ECI) पर संजीदा इल्जाम लगाते हुए कहा है कि बिहार में चुपचाप NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स) लागू किया जा रहा है, जो राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चिंता का कारण है.
ओवैसी ने चेतावनी दी कि यह कदम कई असली भारतीय नागरिकों को वोट देने से रोक सकता है, और चुनाव आयोग पर लोगों का भरोसा कम कर देगा. उन्होंने कहा कि नए नियमों के तहत हर शख्स को खुद और अपने माता-पिता की जन्म तारीख और जन्म स्थान से जुड़े दस्तावेज दिखाने होंगे, जो कि गरीब लोगों, खासकर बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोगों के लिए लगभग नामुमकिन है.
ओवैसी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,"चुनाव आयोग बिहार में चुपचाप NRC लागू कर रहा है. अब वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए हर नागरिक को ये साबित करना होगा कि वह और उसके माता-पिता कहां और कब पैदा हुए थे. जबकि आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 75% जन्म ही दर्ज (रजिस्टर) होते हैं, और सरकारी दस्तावेजों में भी बहुत सारी गलतियां होती हैं. सीमांचल के लोग बहुत गरीब हैं, दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती है. उनसे उनके माता-पिता के कागज़ मांगना, एक क्रूर मज़ाक है.
- अगर आपका जन्म जुलाई 1987 से पहले हुआ है, तो आपको 11 मान्य दस्तावेजों में से कोई एक देना होगा जिसमें जन्म तारीख या जगह लिखी हो.
- अगर आपका जन्म 01.07.1987 और 02.12.2004 के बीच हुआ है, तो आपको खुद की जन्म तारीख/जगह के साथ-साथ कम से कम एक माता-पिता की जन्म तारीख/जगह के कागज़ भी देने होंगे.
- अगर आपका जन्म 02.12.2004 के बाद हुआ है, तो आपको अपने दोनों माता-पिता की जन्म से जुड़े दस्तावेज भी दिखाने होंगे.
- अगर माता या पिता भारतीय नागरिक नहीं हैं, तो उनके पासपोर्ट और वीज़ा की कॉपियां भी जमा करनी होंगी.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में Lal Babu Hussein केस में साफ कहा था कि किसी व्यक्ति को वोटर लिस्ट से बिना सूचना और प्रक्रिया के नहीं हटाया जा सकता. नागरिकता तय करने के लिए सिर्फ सीमित दस्तावेजों पर भरोसा नहीं किया जा सकता. हर तरह के सबूतों को स्वीकार किया जाना चाहिए.
ओवैसी आगे कहते हैं कि बिहार की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और वहां कनेक्टिविटी बहुत खराब है. ऐसे में जून-जुलाई के एक महीने में घर-घर जाकर जांच पूरी करना असंभव है. चुनाव आयोग की यह योजना गरीबों को वोटर लिस्ट से बाहर करने की साज़िश लगती है.
बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक तारीखों की आधिकारिक घोषणा नहीं की है.