Gaza: फिलिस्तीनी संगठन हमास ने फ्रांस के उस बयान की सराहना की है, जिसमें उसने फिलिस्तीन को एक अलग राज्य बनाने की बात कही थी. हमास का कहना है कि दूसरे देशों को फ्रांस को फॉलो करना चाहिए. उधर 20 से अधिक पूर्व सीनियर राजनयिकों ने ब्रिटिश सरकार से कहा है कि फिलिस्तीन राज्य की मांग बिना किसी शर्त मानी जाए, नहीं तो परिणाम खतरनाक होंगे.
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Gaza: गाज़ा के संगठन हमास ने फ्रांस के उस ऐलान की सराहना की है जिसमें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सितंबर में फिलिस्तीन को एक आज़ाद देश के तौर पर मान्यता देने की बात कही है. हमास ने इसे "उत्पीड़ित फिलिस्तीनी जनता के साथ न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम" बताया है और दूसरे देशों से भी इसी राह पर चलने की अपील की है. वहीं राजनयिकों ने इजराइल को बड़ी वॉर्निंग दी है.
हमास ने अपने आधिकारिक बयान में कहा,"हम इस कदम को एक सकारात्मक दिशा में बढ़ाया गया कदम मानते हैं, जो हमारे पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के साथ न्याय करने और आत्मनिर्णय के उनके वैध अधिकार का समर्थन करता है." साथ ही, संगठन ने सभी देशों, खास तौर पर यूरोपीय राष्ट्रों और उन देशों से जो अब तक फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दे सके हैं, फ्रांस का फॉलो करने की अपील की।
इस बीच, ब्रिटेन के 30 से अधिक पूर्व राजदूतों और संयुक्त राष्ट्र के 20 से अधिक पूर्व सीनियर राजनयिकों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से फिलिस्तीनी राष्ट्र को बिना किसी शर्त के मान्यता देने की अपील की है.
इन राजनयिकों ने एक संयुक्त बयान में कहा,"यह ऐतिहासिक पल है जिसमें फिलिस्तीन को एक आज़ाद मुल्क के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो इसके गंभीर, ऐतिहासिक और विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं."
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि गाजा पट्टी में करीब 20 लाख लोग भुखमरी के हालात का सामना कर रहे हैं, जहां इज़राइली हमलों और मानवीय सहायता की बाधाओं की वजह से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. बयान में कहा गया, "इज़राइल तब तक सुरक्षित नहीं हो सकता जब तक फिलिस्तीन के मुद्दे का राजनीतिक समाधान नहीं निकलता."
राजनयिकों ने ब्रिटेन सरकार से सिर्फ बयान देने की बजाय ठोस कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने कहा, "वर्तमान भयावहता और दंडमुक्ति के माहौल में केवल शब्द पर्याप्त नहीं हैं. हथियार बिक्री पर आंशिक रोक, व्यापार वार्ताओं में देरी और सीमित प्रतिबंधों से कहीं अधिक दबाव ब्रिटेन इज़राइल पर बना सकता है." राजनयिकों के अनुसार, फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देना मौत और तबाही के वर्तमान चक्र को तोड़ने की दिशा में एक बुनियादी पहला कदम होगा.